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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की 'एक राज्य एक वोट' नीति में किया संशोधन, 4 हफ्तों में लागू करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीसीसीआई के संविधान को कुछ बदलावों के साथ मान्यता दे दी है। साथ ही 'एक...
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की 'एक राज्य एक वोट' नीति में किया संशोधन, 4 हफ्तों में लागू करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीसीसीआई के संविधान को कुछ बदलावों के साथ मान्यता दे दी है। साथ ही 'एक राज्य-एक वोट' में बदलाव के साथ महाराष्ट्र और गुजरात की क्रिकेट असोसिएशनों को भी पूर्ण सदस्यता दी है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुकाबिक, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, सर्विसेज और असोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटीज इन बीसीसीआई को भी पूर्ण सदस्यता दी है। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के बाद इन असोसिएशनों की मान्यता खत्म कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से परिवर्तित संविधान को चार हफ्ते के भीतर रजिस्टर करने का आदेश दिया है, साथ ही राज्यों और अन्य सदस्य असोसिएशनों को 30 दिन के भीतर रजिस्टर कराने को कहा है।

इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए कोई कूलिंग ऑफ पीरियड नहीं होगा। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने हाईकोर्ट से कहा था कि राज्य क्रिकेट संघों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति से जुड़ी किसी भी याचिका को विचारार्थ स्वीकार नहीं किया जाए।

बीसीसीआई के पदाधिकारियों का पहले कूलिंग-ऑफ पीरियड 3 बार का था। सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे 2 बार में बदल दिया है। यानी दो बार पदाधिकारी रहने के बाद 6 साल का कूलिंग-ऑफ पीरियड होगा। 70 साल उम्र की अधिकतम सीमा, सरकारी अधिकारी और मंत्री वाली अयोग्यता बनी रहेगी।

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