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सचिन तेंडुलकर 2007 के बाद ही लेना चाहते थे संन्‍यास, विव रिचर्ड्स ने बदला उनका फैसला

महान बल्‍लेबाज सचिन तेंडुलकर ने रविवार को खुलासा किया कि 2007 विश्‍व कप के बाद उनके हीरो विव रिचर्ड्स...
सचिन तेंडुलकर 2007 के बाद ही लेना चाहते थे संन्‍यास, विव रिचर्ड्स ने बदला उनका फैसला

महान बल्‍लेबाज सचिन तेंडुलकर ने रविवार को खुलासा किया कि 2007 विश्‍व कप के बाद उनके हीरो विव रिचर्ड्स से करीब 45 मिनट फोन पर बातचीत ने मास्‍टर ब्‍लास्‍टर के संन्‍यास लेने का फैसला बदल दिया। क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले तेंडुलकर की 2007 विश्‍व कप के बाद कड़ी आलोचना हुई थी। बता दें कि वेस्‍टइंडीज में हुए 2007 विश्‍व कप में टीम इंडिया पहले ही दौर में बाहर हो गई थी। सचिन तेंडुलकर तब तीन मैचों में केवल 64 रन बनाने में कामयाब हुए थे। भारत को ग्रुप चरण में श्रीलंका और बांग्‍लादेश से शिकस्‍त मिली थी।

बड़े भाई अजीत का भी रहा अहम योगदान

इंडिया टुडे के सलाम क्रिकेट में तेंडुलकर ने खुलासा किया कि 2007 में वह 90 प्रतिशत संन्‍यास लेने का मन बना चुके थे, लेकिन उनके भाई की सलाह और सर विव रिचर्ड्स से फोन पर बातचीत ने सब बदल दिया।  इससे पहले  कई जगह इस बात का जिक्र है कि बड़े भाई अजीत की सलाह के बाद तेंडुलकर ने 2007 में क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बदला था, लेकिन इस दिग्गज क्रिकेटर ने इससे पहले कभी इसमें रिचर्ड्स की भूमिका पर बात नहीं की थी। तेंडुलकर ने आगे चलकर विश्‍व कप जीतने का अपना सपना पूरा किया। उन्‍होंने घरेलू दर्शकों के बीच वानखेड़े स्‍टेडियम पर विश्‍व कप ट्रॉफी अपने हाथों में ली।

विश्व कप जीतना था सपना

महान बल्‍लेबाज तेंडुलकर ने कहा कि मुझे लगा कि बस अब हो गया। उस समय भारतीय क्रिकेट में बहुत कुछ हो रहा था और टीम का माहौल भी अच्‍छा नहीं था। हमें कुछ बदलाव की जरूरत थी और मुझे लगता है कि अगर वह बदलाव नहीं होते तो मैं क्रिकेट खेलना छोड़ देता। मैंने 90 प्रतिशत संन्‍यास लेने का मन बना लिया था। मगर मेरे भाई ने कहा कि 2007 विश्‍व कप का फाइनल मुंबई में है, क्‍या आप कल्‍पना कर सकते हो कि खूबसूरत ट्रॉफी अपने हाथों में लिए हुए हो।

उन 45 मिनट ने बदला फैसला

मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने आगे कहा कि इसके बाद मैं अपने फार्महाउस चला गया, जहां मुझे अपने हीरो सर विव का फोन आया। उन्‍होंने मुझसे कहा कि मुझे पता है कि आपमें अभी काफी क्रिकेट बाकी है। हमारी करीब 45 मिनट फोन पर बातचीत हुई और वह काफी शानदार थी क्‍योंकि आपके बल्‍लेबाजी हीरो का फोन आया था। यह काफी मायने रखता है। वह ऐसा पल था, जिसने मेरे लिए चीजें बदल दी और इसके बाद से मेरे प्रदर्शन में भी काफी सुधार हुआ।

2007 को बताया सबसे खराब साल

तेंडुलकर ने कहा कि 2007 विश्व कप संभवत: उनके करिअर का सबसे खराब चरण था, और जिस खेल ने उन्हें उनके जीवन के सर्वश्रेष्ठ दिन दिखाए थे, अब वह उन्हें बदतर दिन भी दिखा रहा था। तेंडुलकर ने साथ ही कहा कि 2003 विश्व कप के फाइनल में आस्ट्रेलिया के हाथों हार उनके जीवन की सबसे बड़ी निराशा में से एक है। जब हम दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो प्रत्येक मैच के साथ हमारा आत्मविश्वास बढ़ता गया। उस पूरे टूर्नामेंट में हम सिर्फ आस्ट्रेलिया से हारे थे।

इतना छोटा खिलाड़ी इतना ताकतवर कैसे: रिचर्ड्स

इस कार्यक्रम के दौरान रिचर्ड्स भी मौजूद थे और उन्होंने तेंडुलकर की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें हमेशा से उनकी क्षमता पर भरोसा था। रिचर्ड्स ने कहा कि मुझे सुनील गावस्कर के खिलाफ खेलने का मौका मिला जो मुझे हमेशा से लगता था कि भारतीय बल्लेबाजी के गॉडफादर हैं। इसके बाद सचिन आए, इसके बाद अब विराट हैं। लेकिन मैं जिस चीज से सबसे हैरान था वह यह थी कि इतना छोटा खिलाड़ी इतना ताकतवर कैसे हो सकता है।

(ऐजेंसी इनपुट)

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