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पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और धोनी ने भारतीय क्रिकेट में बदलाव लाने में निभाई बड़ी भूमिका: लालचंद राजपूत

2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का वनडे वर्ल्ड कप, 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी, 2008 की ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज और 2010 का...
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और धोनी ने भारतीय क्रिकेट में बदलाव लाने में निभाई बड़ी भूमिका: लालचंद राजपूत

2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का वनडे वर्ल्ड कप, 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी, 2008 की ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज और 2010 का एशिया कप भारत को जितवाने वाले महेंद्र सिंह धोनी का युग भारत का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। लालचंद राजपूत 2007 टी-20 विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर थे, जब भारत ने इस खिताब को अपने नाम किया था। राजपूत का मानना है कि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ का मिश्रण है। राजपूत का मानना है कि गांगुली की भारत में क्रिकेट खेलने के तरीके में बदलाव लाने में एक बड़ी भूमिका रही और धोनी इसे आगे लेकर गए जब वह 2007 में टीम के कप्तान बने। 

गांगुली को खिलाड़ियों को मौका देने का श्रेय दिया जाता है

गांगुली को व्यापक स्तर पर खिलाड़ियों को मौका देने का श्रेय दिया जाता है और धौनी उनमें से एक थे, जिसने अंततः उन्हें 2005 में विशाखापट्टनम टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ मैराथन 148 स्कोर करने के लिए प्रेरित किया। राजपूत ने कहा कि धोनी भी उसी तरह की सोच रखते हैं और युवा खिलाड़ियों को मौका देते हैं, क्योंकि युवा खिलाड़ी को मौका मिलना और उनके अंदर विश्वास पैदा करना बड़ी बात होती है।

क्रिकेट के छोटे फॉर्मैट में धोनी से बेहतर कोई कप्तान नहीं आया। उन्हें कप्तान बनाए जाने का निर्णय पूरी दुनिया याद रखेगी। 2007 में जब उन्हें कप्तानी सौंपी गई तो बहुत से लोग इस फैसले से चकित हुए थे। लोगों को भरोसा नहीं था कि यह फैसला काम करेगा। 2007 में टीम इंडिया के मैनेजर लालचंद राजपूत ने धोनी को देखने के अपने अनुभव के बारे में विस्तार से बताया।

धोनी की कप्तानी है सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी का मिश्रण

राजपूत ने स्पोटर्सकीड़ा से कहा, “धोनी की कप्तानी की शैली सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी का मिश्रण थी। गांगुली खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देते थे और उन्होंने भारतीय टीम की मानसिकता में बदलाव किया और मुझे लगता है कि धोनी इसी चीज को लेकर आगे गए। अगर धोनी को लगता कि किसी खिलाड़ी में काबिलियत है, वो उन्हें पूरे मौके देने की कोशिश करते थे।”

उन्होंने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो वो काफी शांत रहते हैं। एक कप्तान को मैदान पर रहते हुए फैसले लेने होते हैं और वो दो कदम आगे की सोचते हैं। एक चीज जो मुझे उनकी अच्छी लगती है कि वो सोचने वाले कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली का मिश्रण है। गांगुली काफी आक्रामक कप्तान थे।” 

धोनी भी करते हैं युवा खिलाड़ियों पर भरोसा

राजपूत ने विकेटकीपर-बल्लेबाज की युवा खिलाड़ियों पर भरोसा करने की प्रशंसा करते हुए कहा, ''धोनी यदि किसी भी खिलाड़ी में थोड़ी सी भी क्षमता देखते तो उसे मौके देते। धोनी कभी मैदान पर कुटिल एक्शन नहीं लेते थे। यही बात खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी।''

2007 में बहुत से सीनियर खिलाड़ियों को किनारे करते हुए महेंद्र सिंह धोनी को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। राहुल द्रविड़ इंग्लैंड दौरे के बाद कप्तानी छोड़ने के बाद धोनी वनडे के भी कप्तान बन गए। कुंबले के रिटायरमेंट के बाद टेस्ट टीम की कप्तानी भी धोनी के हाथ में आ गई। 2014 में धोनी ने टेस्ट टीम की कप्तानी को अलविदा कहा और 2017 में वनडे और टी-20 की कप्तानी से उन्होंने संन्यास ले लिया।

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