राहुल गांधी अपनी 56 दिन की छुट्टियों से बुधवार को लौट आए है। उनके इन 56 दिनों के अवकाश का कोई कारण नहीं बताया गया था और इससे पार्टी के उनके नेतृत्व को लेकर भी बहुत से सवाल उठाए गए थे।
राज्यसभा का अगला सत्र लोकसभा के बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरू होने के तीन दिन बाद 23 अप्रैल को शुरू होगा। राज्यसभा सचिवालय की एक विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रपति ने 23 अप्रैल से राज्यसभा की बैठक बुलाई है। यह बैठक 13 मई तक चलेगी।
इस्पात मंत्राालय के अधीन आईआईटी की तरह राष्ट्रीय महत्व का एक संस्थान स्थापित करने के लिये विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सकता है। बजट सत्र का दूसरा चरण इस महीने शुरू होने वाला है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को जिस नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा की है उसमें अगले पांच वर्षों में निर्यात को दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। नई नीति में कृषि उत्पादों के निर्यात को अधिक प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है।
गुजरात विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को समाप्त हो गया लेकिन 2002 के दंगों के जांच आयोग की रिपोर्ट चार महीने पहले जमा किए जाने के बाद भी सदन में नहीं रखी गई।
इस वर्ष केंद्रीय बजट में जब निर्धन वर्ग के कार्यक्रमों, ग्रामीण व सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी कटौतियां की गई तो कहा गया था कि इसकी क्षतिपूर्ति राज्य सरकारों के बजट में हो जाएगी क्योंकि राज्य सरकारों को 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करों का अधिक हिस्सा आबंटित हो रहा है। पर अधिकांश राज्य सरकारों के बजट में कटौतियों की पूर्ण व पर्याप्त भरपाई का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। उदाहरण के लिए राजस्थान सरकार के बजट में यह स्पष्ट नजर आता है कि इन उच्च प्राथमिकता क्षेत्रों में हुई कटौतियों की पर्याप्त क्षतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट में नहीं हो सकी है।
आए दिन रेल दुर्घटनाओं और आर्थिक संकट की त्रासदी झेल रहे भारतीय रेल के लिए आखिरकार कायाकल्प परिषद का गठन हो ही गया, जैसाकि रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने बजट भाषण में वादा किया था।
महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकार के अपना पहला बजट पेश करने के एक दिन बाद उसकी सहयोगी शिवसेना ने स्थानीय संस्था कर (एलबीटी) खत्म करने के कुछ पहलुओं पर सफाई मांगी है और कहा है कि मुंबई के लिए और कोष आवंटित किया जाना चाहिए।
नए बजट में कला संस्थाओं के बजट में कटौती हो गई है। सरकार को लगता है कि कलाकारों को पैसों की कुछ खास जरूरत नहीं होती। वे कला को ही ओढ़-बिछा कर अपना जीवन यापन कर सकते हैं।