संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि म्यामांर के रखाइन प्रांत में ताजा हिंसा की वजह से 25 अगस्त से अब तक 3,13,000 रोहिंग्या बांग्लादेश की सीमा में दाखिल हो चुके हैं।
मां-बाप के द्वारा 'बच्चे का भविष्य' संवारने के उद्देश्य से उन्हें स्कूल भेजा जाना, फिर उस बच्चे का कभी न लौटकर आना या कुछ ऐसे घाव साथ लेकर आना जिससे उबरने में शायद जिंदगी बीत जाए। ऐसे मां-बाप पर क्या गुजरेगी?
असल में म्यामांर के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए आंग सान सू का विरोध हो रहा है और उनका शांति का नोबेल पुरस्कार वापस लिए जाने की मांग की जा रही है।