Advertisement

Search Result : " lal kila metro station"

चर्चा : अपने हाथ क्यों जलाएं ?। आलोक मेहता

चर्चा : अपने हाथ क्यों जलाएं ?। आलोक मेहता

विरोध, प्रदर्शन, आंदोलन, लोकतंत्र में अनुचित नहीं माने जाते। लेकिन अपने खेत-खलिहान-घर-आंगन को सुरक्षित रखने के साथ मासूम बच्चों के स्कूलों, बीमार और घायलों का उपचार करने वाले अस्पतालों, गांव से कस्बों तक पहंुचाने वाली बसों अथवा जानमाल की सुरक्षा के लिए बनाए गए थानों को आग लगाने के बजाय सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी तो समाज की है।
शोषण के तीर्थ में सृजन की शव-साधना

शोषण के तीर्थ में सृजन की शव-साधना

असंतोष और टकराव का लाल गलियारा बेहद लंबा है। आज राज्य के अर्द्ध सैन्य बल और प्रतिरोधी आदिवासी आमने-सामने हैं। आखिर क्यों है ऐसा? समाज विज्ञानी, लेखक और पत्रकार रामशरण जोशी इस ‘क्यों’ की पड़ताल अपनी नई पुस्तक ‘यादों का लाल गलियारा-दंतेवाड़ा’ में करते हैं।
शिवसेना की मोदी को नसीहत, 'महंगा पड़ेगा पाक की धरती चूमना'

शिवसेना की मोदी को नसीहत, 'महंगा पड़ेगा पाक की धरती चूमना'

शिवेसना ने पिछले दिनों अचानक पाकिस्तान की यात्रा करने पर पीएम मोदी पर करारा हमला किया है। पीएम की औचक लाहौर यात्रा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि भारतीय खून से सनी पाकिस्तानी भूमि को चूमना उनके लिए महंगा साबित होगा।
कोशिश करने वालों की सच में हार नहीं होती

कोशिश करने वालों की सच में हार नहीं होती

'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' एक सशक्त रचना है। इस रचना को हरिवंश राय बच्चन की रचना के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। इस रचना के बारे में काफी समय से मतभेद है कि यह रचना हरिवंशराय बच्चन की है या निराला की। हमने निराला और बच्चन की रचनावली के सभी खंड खंगाले लेकिन यह रचना कहीं नहीं मिली।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
अब पहियों-बैसाखियों पर भी चल सकेगा भारत

अब पहियों-बैसाखियों पर भी चल सकेगा भारत

भारत में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के प्रति अभी भी रवैया दया या लाचारी वाला ही होता है। महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए न पर्याप्त सुविधाएं हैं और न इन हालातों को बदलने के लिए नजरिया।
पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
अंबाला स्टेशन में बम की अफवाह

अंबाला स्टेशन में बम की अफवाह

अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पर उस वक्त अफरा तफरी का माहौल बन गया जब फोन पर बम होने की सूचना आई। सूचना मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां तुरंत सतर्क हो गईं। हालांकि बाद में यह सूचना गलत साबित हुई।
Advertisement
Advertisement
Advertisement