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शत्रुघ्न ने मांझी के बहाने डीएनए वाले बयान पर साधा निशाना

शत्रुघ्न ने मांझी के बहाने डीएनए वाले बयान पर साधा निशाना

भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अपने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने में नहीं चूक रहे। पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार के संग नजदीकियां बढ़ा रहे शत्रुघ्न ने इस बार मांझी द माउंटेन मैन फिल्म के बहाने नरेंद्र मोदी के डीएनए वाले बयान पर निशाना साधा है।
मोदी को 50 लाख बिहारियों के डीएनए सैंपल भेजेंगे नीतीश

मोदी को 50 लाख बिहारियों के डीएनए सैंपल भेजेंगे नीतीश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुजफ्फरपुर रैली और इसके बाद गया रैली में उनके दिए भाषणों में ‘डीएनए’ टिप्पणी के जिक्र पर बिहार के मुख्यमंत्री नीती‌श कुमार ने सख्त प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि उनके शब्दवापसी अभियान के तहत बिहार की 50 लाख जनता अपने डीएनए सैंपल मोदीजी को भेजेगी।
99 डॉलर में खरीदिए फराह का डीएनए

99 डॉलर में खरीदिए फराह का डीएनए

सेलेब्रिटी जो न करें सो कम है। एक हैं हॉलीवुड स्टार फराह अब्राहम। मदाम अपना डीएनए बेच रही हैं वह भी सिर्फ 99 डॉलर में। आखिर सेलेब्रिटी का डीएनए हैं जो भी खरीदेगा फराह से करीब होने का अहसास तो होगा ही।
रसायन विज्ञानी माॅरीशस की पहली महिला राष्‍ट्रपति

रसायन विज्ञानी माॅरीशस की पहली महिला राष्‍ट्रपति

मॉरीशस की पहली महिला राष्‍ट्रपति अमीना गुरीब फाकिम रसायन विज्ञान की जानी-मानी प्रोफेसर हैं और सेहत व सौंदर्य से जुड़े उत्‍पादों के निर्माण में जड़ी-बूटियों के इस्‍तेमाल पर शोध करती हैं।
मोदी ने साल भर की कामयाबी दिखाने में झोंकी ताकत

मोदी ने साल भर की कामयाबी दिखाने में झोंकी ताकत

सरकार की पहली सालगिरह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार की व्‍यापक रणनीति तैयार कराई है। सबसे ज्‍यादा जोर नई योजनाओं के फायदे गिनाने और किसान विरोधी छवि से बाहर निकलने पर रहेगा। मथुरा में रैली कर खुद मोदी अपनी उपलब्धियों की झांकी पेश करेंगे। इस मौके पर किसी बड़ी योजना का ऐलान भी हो सकता है।
नागरिकों की निजता में डीएनए की सेंध

नागरिकों की निजता में डीएनए की सेंध

डीएनए प्रोफालिंग बिल पर समिति की रिपोर्ट पूरी, सरकार बिल लाने की तैयारी में। भारत में भेदभावमूलक व्यवहार की लंबी परंपरा रही है और इसमें इस तकनीक का दुरुपयोग किया जा सकता है, जैसे घुमंतू जनजातियों-विमुक्त जनजातियों को अपराधी माना जाता रहा है। इसके अलावा आबादी के आधार पर भी भेदभाव किया जा सकता है और इससे जाति और धर्म राजनीति बहुत गहराई से प्रभावित होने की आशंका है। अल्पसंख्यक समुदाय पहले से ही प्रोफाइलिंग का शिकार है।