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नफरत की कड़ी को आगे बढ़ाएंगी उर्वशी रौतेला

नफरत की कड़ी को आगे बढ़ाएंगी उर्वशी रौतेला

हेट स्टोरी की चौथी कड़ी आने वाली है। इस बार भी बदला लेने की ही कहानी है। कहानी एक लड़की के इर्द-गिर्द ही होगी और यही लड़की बदला भी लेगी। उर्वशी रौतेला फिल्म में बदला लेने वाली सुपरमॉडल बनेंगी।
ये पांच दर्दनाक कहानियां बताती है कि स्कूल में कितने असुरक्षित हैं हमारे बच्चे

ये पांच दर्दनाक कहानियां बताती है कि स्कूल में कितने असुरक्षित हैं हमारे बच्चे

मां-बाप के द्वारा 'बच्चे का भविष्य' संवारने के उद्देश्य से उन्हें स्कूल भेजा जाना, फिर उस बच्चे का कभी न लौटकर आना या कुछ ऐसे घाव साथ लेकर आना जिससे उबरने में शायद जिंदगी बीत जाए। ऐसे मां-बाप पर क्‍या गुजरेगी?
हत्या के जश्न में चूर एक 'देशभक्त' से साक्षात्कार!

हत्या के जश्न में चूर एक 'देशभक्त' से साक्षात्कार!

दुकानों से पटी वह एक भीड़-भरी तंग गली थी जिस पर एक दूसरे से हिल-मिल कर बने हुए मकानों की कतारों में किसी एक घर की एकमात्र खिड़की/बालकनी/बरामदे पर चाइनीज एलइडी से लिखे गए 56 इंच के बड़े-बड़े अक्षरों में “देश-भक्त ही देशभक्त” का साइन बोर्ड लिबडिब-लिबडिब करके जल बुझ रहा था।
मुंबई बारिश की पांच दर्दनाक कहानियां

मुंबई बारिश की पांच दर्दनाक कहानियां

पिछले तीन दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद गुरुवार को मुंबई वापस खड़ी हो गई है। लेकिन लोगों के लिए आफत बनी इस बारिश के दौरान कई दर्दनाक हादसे हुए, जिसने कईयों की जिंदगियां छीन ली।
अमेरिका में आए तूफान के बीच वायरल हो रही तस्वीर की कहानी

अमेरिका में आए तूफान के बीच वायरल हो रही तस्वीर की कहानी

ऐसे तो किसी भी इलाके में बाढ़, तूफान या अन्य आपदाओं के दौरान ऐसी ह्रदयविदारक तस्वीरें सामने आती ही हैं, लेकिन यह तस्वीर कुछ अलग है।
टीवी सीरियल ‘पहरेदार पिया की’ कहानी में जल्द आपको दिखेगा नया ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘पहरेदार पिया की’ कहानी में जल्द आपको दिखेगा नया ट्विस्ट

एक महीने पहले सोनी चैनल पर शुरू हुआ टीवी सीरियल ‘पहरेदार पिया की’ काफी विवादों के बाद अपने शो में बड़ा ट्विस्ट लाने जा रहा है।
ओलंपिक की आस लगाने से पहले सोचिए, कैसे जीते-मरते हैं हमारे खिलाड़ी

ओलंपिक की आस लगाने से पहले सोचिए, कैसे जीते-मरते हैं हमारे खिलाड़ी

खेल और खिलाड़ियों की दशा पर अक्सर लोग बात करते दिखाई देते हैं। खेल की हालत में सुधार और प्रोत्साहन देने जैसी शासकीय घोषणाएं भी समय-समय पर की जाती हैं। खेलों में न्यूनतम सुविधाएं मिलने अथवा नहीं मिलने की परिचर्चा भी आम है, लेकिन बात खिलाड़ियों की जान पर आ जाए तो आप इसे क्या कहेंगे?
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