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ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

आज भी लाखों-करोड़ों लोग गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, इस बात को स्वीकार करते हुए और लोगों में इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इंग्लैंड 18 अक्टूबर के दिन को दासता विरोधी दिवस के तौर पर मनाता है। इस साल इसमें मुख्य एजेंडा आधुनिक दासता और मानव तस्करी को खत्म करना था। वाक फ्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व के सबसे ज्यादा बधुआ मजदूर हैं और भारत के ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है। भारत को भी अपने तमाम पारंपरिक और आधुनिक गुलामी के तरीकों के विरुद्ध एक दिन समर्पित करना चाहिए।
हिंदी दिवस पर कवियों का जुटान

हिंदी दिवस पर कवियों का जुटान

कवि-कहानीकारों के लिए वैसे तो हर दिन हिंदी का दिन होता है। लेकिन साल में एक दिन खास मनाया जाता है जो हिंदी के लिए कोने-कोने में प्रयासरत लोगों को एक मंच पर जुटा लाता है।
दूध से भी दूर नहीं होगी कुपोषण की समस्या

दूध से भी दूर नहीं होगी कुपोषण की समस्या

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक फरमान जारी किया कि मध्यान्ह भोजन के साथ-साथ बच्चों को दूध दिया जाए ताकि कुपोषण दूर कर सेहतमंद बनाया जा सके। लेकिन हफ्ते में एक दिन दूध देने से क्या कुपोषण की समस्या दूर हो पाएगी इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि हफ्ते में एक दिन दूध वह भी कई स्कूलों में नहीं मिल रहा है तो कई जगह खराब मिल रहा है।
मिठास सरहदों की मोहताज नहीं

मिठास सरहदों की मोहताज नहीं

दूध-खोए की बनी मिठाइयां सत्ता हठ के चलते सरहदों की मोहताज हो सकती हैं लेकिन रिश्तों की मिठास किसी लकीर और सरहद की मोहताज नहीं। राजनयिक संबंधों में तनातनी के चलते इस दफा बेशक सरहद पर दोनों देशों ने एक-दूसरे को मिठाइयां नहीं दीं लेकिन इस पार और उस पार के लोगों ने इस रवायत को कायम रखते हुए बता दिया कि दिलों के रिश्ते सरहदी कांटेदार तारों से नहीं काटे जा सकते।
पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

पुराने वादे भूले मोदी, जादू हुआ कम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्राचीर से जब अपना दूसरा भाषण दे रहे थे तो वह जोश नजर नही आ रहा था जो एक साल पहले था। नरेंद्र मोदी के आज के भाषण में जो नई घोषणाएं थी उसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर साल 2014 में 15 अगस्त को जो वादा किया था उसका क्या हुआ।
दफ्तरों में शिशु के लिए हो स्तनपान की सुविधा - संयुक्त राष्ट्र

दफ्तरों में शिशु के लिए हो स्तनपान की सुविधा - संयुक्त राष्ट्र

यदि दफ्तर स्तनपान कराने वाली मांओं के लिहाज से सुविधाजनक कार्यस्थल में बदल जाए तो महिला कर्मचारियों की काम की रफ्तार तेज हो सकती है। एक अध्ययन कहता है कि पर्याप्त मातृत्व लाभ पाने वाली कामकाजी महिलाओं में दफ्तर में अधिक संतुष्टि देखी गई है। चूंकि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं, ऐसे में मांएं दफ्तर में कम अनुपस्थित रहती हैं।
प्रफुल्ल बिदवई को आखिरी सलाम

प्रफुल्ल बिदवई को आखिरी सलाम

वरिष्ठ पत्रकार, एक्टिविस्ट, परमाणु मुद्दे पर जनपषधर लेखनी से अलग मुकाम बनाने वाले प्रफुल्ल बिदवई को आज लोदी रोड के विद्युत शवदाहगृह में दी गई भाव-भीनी श्रद्धांजलि
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