एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय पर हुई सीबीआई की कार्रवाई को लेकर कुछ नेताओं के बयान आए हैं। वहीं कुछ नेताओं ने चुप्पी साध ली है। जहां मीडिया जगत में इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण हमला माना जा रहा है, वहीं राजनीतिक हलकों में भी कुछ नेता प्रणय रॉय और एनडीटीवी के समर्थन में उतर आए हैं। लेकिन कई बड़े नेता जो अक्सर अलग-अलग मसलों पर ट्वीट करते रहते हैं उनका यहां मौन रहना समझ से परे है।
दिल्ली हाइकोर्ट ने आज रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने अर्णब को निर्देश देते हुए कहा है कि आप भाषणबाजी कम करो और अपने तथ्य दिखाओ।
मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने सभी भाजपा नेता सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इस दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रोजगार पर बयान दिया है। अमित शाह ने कहा है कि 125 करोड़ लोगों के देश में सभी को नौकरी मुहैया करना संभव नहीं है।
एक तरफ जहां मोदी सरकार तीन साल पूरे होने पर जश्न मना रही है, वहीं कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। भाजपा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने जश्न के नाम पर 2000 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 3 साल को 'भाषण और आश्वासन, ये है मेरा शासन' के रूप में समझा जा सकता है।
फिल्म निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव का मानना है कि भारत का सेंसर बोर्ड दरअसल देश के नागरिकों का प्रतिनिधित्व ही नहीं करता है। इसलिए फिल्मकारों को अपनी तीखी कहानियों को बयां करने के लिए कठोर रुख अपनाना होगा। उन्होंने अपनी ‘लिपस्टिक अंडर माई बुरका’ को लेकर उठे विवाद के बाद कहा, भारत में महिलाएं उतनी आजाद नहीं हैं जितना कि वो होने की कल्पना करती हैं।
पाकिस्तान में नागरिक समाज के सदस्यों और शिक्षाविदों ने भारतीय स्वतंत्राता सेनानी भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की 86वीं पुण्यतिथि के मौके पर मांग उठाई है कि इन तीनों की अन्यायपूर्ण हत्याओं के लिए ब्रिटेन की महारानी को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए।
चुनाव प्रचार में नेताओं के भाषण को लेकर चुनाव आयोग ने नाराजगी जाहिर की है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करते हुए भाषणों पर संयम बरतने के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को बजट पूर्व भाषण करार देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री काले धन एवं नोटबंदी के वास्तविक एजेंडा से भटक गए।