शनिवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर दुनिया भर के कई लेखकों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पत्र लिखा है। मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर भेजे गए पत्र में लेखकों ने राष्ट्रपति से इसे तत्काल रोकने की अपील की है।
अहम सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्म बनाने वाले निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि इस देश में पूरी तरह से राजनीतिक फिल्म बनाना असंभव है, क्योंकि यहां अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।
फिदेल कास्त्रो ने 1983 के गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में इंदिरा गांधी से गले मिलकर उनका अभिवादन किया था जो उनके भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करता था। भारत इस विख्यात जूझारू नेता को सदैव अपने एक बड़े मित्र के रूप में देखता रहा है।
लेखक और नेता शशि थरूर ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में भारत के लोगों पर जो भीषण अपराध किए गए, भारत को दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक बनाने वाले ब्रिटिशों द्वारा किसी भी तरह की क्षतिपूर्ति उसकी भरपायी नहीं कर सकती।
मंच के कवि होने के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय कुमार विश्वास के मुताबिक केंद्र की सरकारों ने उन्हें अपेक्षित सम्मान नहीं दिया और राजनीतिक विचार नहीं मिलने के कारण उन्हें सरकारी कार्यक्रमों तक में आमंत्रित नहीं किया जाता।
जेएनयू प्रशासन ने छात्रों और शिक्षकों से परिसर में विघ्नकारी राजनीति और प्रदर्शनों को हतोत्साहित करने की अपील करते हुए आरोप लगाया कि इससे विश्वविद्यालय का सुगमतापूर्वक चलने वाला कामकाज बाधित हो रहा है और प्रदर्शनों के जरिए अतार्किक मांगें उठायी जा रही हैं।
अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडय काटजू ने गांधी जंयती पर महात्मा गांधी को लेकर वैचारिक हमला किया है। काटजू ने गांधी को फ्राड और पाखंडी बताया है। उन्होंने कहा है कि गांधी की वजह से देश को आजादी नहीं मिली है। फेसबुक पर काटजू ने पोस्ट में लिखा- कौन सही है- गांधी या भगत सिंह और सूर्य सेन? काटजू ने लिखा- जब 1938 में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री नेविले चेम्बरलिन जर्मनी से म्यूनिख समझौता करके लौटे थे तो विपक्ष के नेता विस्टन चर्चिल ने कहा था कि आपके पास युद्ध या अपमान में से विकल्प चुनने का अधिकार है और आपने अपमान चुना।