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आहें भरती बीमार नौकरशाही

आहें भरती बीमार नौकरशाही

राजनीतिक हस्तक्षेप और बेजा इस्तेमाल की बीमारी की वजह से नौकरशाही का मनोबल अब तक के सबसे निचले स्तर पर है।
पांच बच्चे हैं? शिवसेना देगी दो लाख रुपये

पांच बच्चे हैं? शिवसेना देगी दो लाख रुपये

ऐसा लगता है कि हिंदूवादी शक्तियों ने धार्मिक जनगणना के आंकड़ों को भुनाना शुरू कर दिया है। तभी तो शिवसेना की आगरा इकाई ने उन हिंदू परिवारों को दो लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है जिनके परिवार में पांच बच्चे होंगे।
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
हिंदू राष्ट्र नहीं धर्मनिरपेक्ष होगा नेपाल

हिंदू राष्ट्र नहीं धर्मनिरपेक्ष होगा नेपाल

नेपाल के राजनीतिक दल नए संविधान को अंगीकार करने के मुहाने पर पहुंच गए हैं। नेपाल की संविधान मसौदा समिति ने एक बड़ी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस संविधान के लागू हो जाने पर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी।
न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

संविधान का अनुच्छेद 124 मूल रूप से यह कहता है, 'सुप्रीम कोर्ट के हर जज की नियुक्ति राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के संबंधित जजों से सलाह-मशविरे से करेंगें जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से हमेशा सलाह ली जाएगी। जजों की नियुक्ति एवं तबादले में किसकी चलेगी इसे लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका में 1980 के दशक से ही जोर-आजमाइश चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट और सरकार बड़े टकराव की ओर

सुप्रीम कोर्ट और सरकार बड़े टकराव की ओर

बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंड पीठ के सामने जिस तरह सरकार और पीठ के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, उसे देखते हुए अब तक फुसफुसाए जा रहे कुछ सवाल थोड़ा ज्यादा जोर से सुनाई पडऩे लग गए हैं। क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही हैं? क्या संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित करने में हड़बड़ी दिखाई ?
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