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यूपी: अखिलेश को मुख्तार से परहेज, बोले नहीं आएंगे पार्टी में

यूपी: अखिलेश को मुख्तार से परहेज, बोले नहीं आएंगे पार्टी में

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (कौएद) के समाजवादी पार्टी में विलय के मुद्दे पर पहली बार खुले लहजे में कहा कि वह पार्टी में मुख्तार जैसे लोगों को नहीं चाहते और वह उनकी पार्टी में नहीं रहेंगे।
अम्‍मा की जीत और नेहरु की तरफदारी, मप्र के दो कलेक्‍टरों से भाजपा नाराज

अम्‍मा की जीत और नेहरु की तरफदारी, मप्र के दो कलेक्‍टरों से भाजपा नाराज

भााजपा शासित मध्‍य प्रदेश के दो कलेक्‍टर फेसबुक और ट्विटर पर राजनैतिक टिप्‍पणी करके फंस गए हैं। उनके आला अफसरों ने कहा है कि अगर ये दोनों अफसर नियमों के तहत दोषी पाए गए तो इन पर कार्रवाई की जाएगी।
नहीं रहे निरंकारी बाबा हरदेव सिंह, कनाडा में सड़क दुर्घटना में मौत, शोक की लहर

नहीं रहे निरंकारी बाबा हरदेव सिंह, कनाडा में सड़क दुर्घटना में मौत, शोक की लहर

निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का शुक्रवार को कनाडा में एक सड़क हादसे में निधन हो गया। बाबा के निधन से देश-दुनिया में मौजूद उनके तमाम भक्तों में शोक की लहर है।
मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इंतिजार हुसैन ने 2 फरवरी 2016 को इस संसार से विदा ले ली। भारत में पैदा हुए इंतिजार की शिक्षा पहले हापुड़ फिर मेरठ कॉलेज से हुई थी। सन 2012 में सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर पाकिस्तान के नामी अफसानानिगार इंतिजार हुसैन भारत आए थे। विभाजन के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी रूह भारत में ही रहती थी। उनकी कहानियों में अलग तरह का दर्शन था। बस्ती, हिंदुस्तान से आखिरी खत उनकी लोकप्रिय कृतियों में से है। तब उन्होंने आउटलुक से ढेर सी बात की थी। उनके साक्षात्कार में उन्होंन बताया था भारत और भारतीयता की समझ को। उनका भारत में दिया गया अंतिम साक्षात्कार
पिता से पहले गुरु थे कुमार गंधर्व

पिता से पहले गुरु थे कुमार गंधर्व

रिमझिम बारिश और पूना के बेतरतीब ट्रैफिक से गुजर जब मैं वार्जे के अतुल नगर इलाके में पहुंची तो हल्की ठंडक ने थोड़ी सी सिहरन भर दी थी। जब मैं कमरे में पहुंची तो कपूर की भीनी सी खुशबू नथुनों से टकराई और लगा जैसे एक-डेढ़ घंटे की थकान धीरे-धीरे कपूर के साथ उड़ रही है। उस छोटे से कमरे में कला के विविधरूप थे। छोटी मूर्तियां, कुछ रंग और बहुत सारा संगीत। इन सबके बीच सफेद धोती, कमीज और कंधे पर गमछा डाले जो शख्स विनम्रता से आते हैं उनका नाम है, मुकुल शिवपुत्र।
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