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पीएम की नसीहत के बाद सख्त हुई खट्टर सरकार, गौ रक्षकों को देगी पहचान पत्र

पीएम की नसीहत के बाद सख्त हुई खट्टर सरकार, गौ रक्षकों को देगी पहचान पत्र

देश में आए दिन गौरक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा की खट्टर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। गौ रक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी और फर्जी गौ रक्षकों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की कड़ी चेतावनी के बाद भी इस पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है।
गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें राज्य सरकारेंः पीएम

गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें राज्य सरकारेंः पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गो रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ राज्य सरकारों को कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि गो माता की रक्षा होनी चाहिए लेकिन कानून किसी को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।
सेंसर बोर्ड को शोभा डे की चुनौती, कहा- ‘मैं बोलूंगीं गाय और गुजरात’

सेंसर बोर्ड को शोभा डे की चुनौती, कहा- ‘मैं बोलूंगीं गाय और गुजरात’

मशहूर राइटर शोभा डे ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के चेयरमैन पहलाज निहलानी को खुली चुनौती दी है। शोभा ने कहा है कि वो ‘गाय’, ‘गुजरात’, ‘दंगा’ और ‘हिंदुत्व’ जैसे शब्द बोलेंगी और उन्हें जो करना हो कर लें।
अमर्त्य सेन के गाय, गुजरात-हिन्दू भारत वाले बयान पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची

अमर्त्य सेन के गाय, गुजरात-हिन्दू भारत वाले बयान पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची

भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने एक बार फिर अर्थशास्त्री सुमन घोष द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री में एक बयान पर आपत्ति जताते हुए कैंची चला दी है।
अखिलेश राज में अकेले अपर्णा यादव के NGO को मिला गौ सेवा का 86 फीसद  अनुदान

अखिलेश राज में अकेले अपर्णा यादव के NGO को मिला गौ सेवा का 86 फीसद अनुदान

उत्तर प्रदेश की पिछली अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल का एक बड़ा खुलासा हुआ है। उस दौरान यूपी का गौ सेवा आयोग मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव की संस्था ‘जीव आश्रय’ पर काफी मेहरबान रहा।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
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