एक ओर जहां महिलाओं की सुरक्षा और समानता को लेकर विभिन्न तरह की मुहिम चलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले कानूनों को ही रद्द कर दिया हैं। ट्रंप ने इन कानूनों को रद्द करने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए थे, जिनको ट्रंप ने खत्म कर दिया है।
चुनावों में मतपत्रों के इस्तेमाल के लिए कानून में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन चुनाव आयोग का मानना है कि चुनाव कराने के लिए ईवीएम ज्यादा विश्वसनीय और सुरक्षित तरीका है।
गोवंश सुरक्षा को लेकर गुजरात विधानसभा ने एक नया कानून पारित किया है। इसके बाद गो हत्या करने वाले को उम्रकैद की सजा होगी। वहीं गो मांस मिलने पर सात से दस साल की सजा होगी। गो मांस के साथ पकड़े जाने पर एक लाख से पांच लाख का आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह का मुद्दा संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है। कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई के लिए 11 मई की तारीख तय की है, जो पांच जजों की संवैधानिक पीठ करेगी। पीठ लगातार चार दिनों तक इस मामले पर दोनों पक्ष को सुनेंगे। कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की रविवार से तीन दिवसीय बैठक शुरू हो गई जिसमें आर्थिक विषमता, पर्यावरण-असंतुलन और आतंकवाद को विश्व मानवता के लिए गंभीर चुनौती के साथ तीन तलाक जैसे विषयों पर प्रमुखता से विचार किये जाने की उम्मीद है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का दावा है कि तीन तलाक मुद्दे के खिलाफ दायर याचिक पर पूरे भारत से करीब 10 लाख मुस्लिम महिलाओं ने दस्तखत किए हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया था और इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल भी किया था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषंगिक संगठन की तरह मुसलमानों के बीच काम करता है।
लोकसभा चुनाव में हारने के बाद राज्यसभा के रास्ते सांसद बनने पर रोक लगाने संबंधित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवालिया निशान उठाए हैं। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और विनोद गोयल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि कानून बनाना और उसमें बदलाव करना न्यायपालिका का काम नहीं है, इसके लिए सरकार को चुना जाता है। न्यायपालिका केवल इस बात की समीक्षा कर सकती है कि यह कानून देश के बुनियादी ढांचे व संविधान के अनुरूप बनाए गए हैं या नहीं।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एक पीठ ने जहां कानून और व्यवस्था को अपराध अनुंसधान से अलग करने के लिए दिल्ली पुलिस में कर्मियों की संख्या में वृद्धि की बात की है तो एक अन्य पीठ ने आज कहा कि शहर की पुलिस में आवश्यकता से अधिक कर्मी हैं।