झारखंड में एक पादरी को उधार के पैसे मांगना भारी पड़ गया। उसे पैसे तो नहीं मिले बल्कि उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। खूंटी जिले के जीईएल चर्च के पादरी रेव अब्रहाम विश्वास सुरीन की हत्या का खुलासा पुलिस ने कर दिया है।
पूरे देश में शराबबंदी लागू कराने की इच्छाशक्ति के बहाने ही सही, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश का प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश भी जता दी है। नीतीश ने शराबबंदी को पहले झारखंड और उत्तर प्रदेश में लागू करने के साथ ही पूरे देश में इस पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की है। इसके बाद इसे वह महाराष्ट्र, उत्तराखंड और राजस्थान में लागू कराना चाहते हैं। इसी बहाने वह इन राज्यों में महागठबंधन की भी उम्मीद कर रहे हैं।
कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी के दिन उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे पर आधारित पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम का नवगठित गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने विरोध किया है।
जल्द ही करण ग्रोवर की हेट स्टोरी 3 फिल्म आने वाली है। बिपाशा चाहती हैं की यह फिल्म बहुत सफल हो। यह वही करण हैं जिन्होंने जॉन अब्राहम के बेवफा होने के बाद उन्हें अपना कंधा मुहैया कराया था।
राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
सीबीआई की विशेष अदालत ने आज कोयला घोटाला मामला में मनमोहन सिंह को आरोपी बनाए जाने की याचिका खारिज कर दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी बनाए जाने के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने याचिका दायर की थी।
सन 1963 में पहली कहानी ‘कहानी’ नाम की पत्रिका में छपी। पिछले पांच दशकों में हिंदी की तमाम छोटी-बड़ी पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। कविता संग्रह, सिर्फ सोलह सफे, पठार को सुनो, अतिपूर्वा, इंधन चुनते हुए, सीढ़ियों पर धूप, आग के आसपास, बीस सुरों की सदी। कहानी संग्रह, कोरस वाली गली, नायाब नर्सरी। इसके अलावा भी कई अन्य क्षेत्रों में लेखन और संपादन। झारखंड पर केंद्रित कई किताबें। झारखंड के जाने-माने लेखकों में शुमार।
बिहार चुनाव में समाजवादी पार्टी और पैंथर्स पार्टी दुविधा में पड़ गई हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना की मुश्किल भी चुनाव चिह्न को लेकर ही है। दरअसल, चुनाव आयोग ने सपा और पैंथर्स पार्टी को साइकिल पर ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी है जबकि झामुमो और शिवसेना तीर-कमान लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने टकरा रही है।