38 साल बाद बिना न्याय पाए अरुणा शानबाग ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। जैसे ही अरुणा शानबाग की मौत की खबर की पुष्टि हुई, सोशल मीडिया पर हैशटेग # Aruna shanbaug पर सेलिब्रिटिज समेत तमाम लोगों ने अरुणा के प्रतिं संवेदना जाहिर की। कुछ ने बलात्कार पर कानून के ढीले रवैये पर गुस्सा जाहिर किया तो कुछ ने समाज पर। इस बीच ज्यादातर लोगों ने मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के स्टाफ की उन नर्सों को सलाम किया, जो बिना स्वार्थ के पिछले 38 सालों से अरुणा की सेवा कर रही थीं। फेसबुक और टि्वटर पर अरुणा को श्रद्धांजलि संबंधी कुछ टिप्पणियां-
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि समुचित वित्तीय मॉडल का अभाव कई मीडिया संगठनों के लिए एक वास्तविक चुनौती बनी हुई है। यह स्थिति न सिर्फ समाचार की विषय वस्तु को प्रभावित करती है बलिक पेड न्यूज जैसी समस्या का भी मार्ग प्रशस्त करती है।
ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई के पासपोर्ट से आधिकारिक तौर पर ऑफलोड मुहर को हटा ली गई है। इसके साथ ही खुफिया ब्यूरो द्वारा जारी विवादास्पद ‘लूक आउट सर्कुलर’की कार्रवाई के बाद पिछले चार महीनों से जारी घटनाक्रम पर विराम लग गया है।
बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंड पीठ के सामने जिस तरह सरकार और पीठ के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, उसे देखते हुए अब तक फुसफुसाए जा रहे कुछ सवाल थोड़ा ज्यादा जोर से सुनाई पडऩे लग गए हैं। क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही हैं? क्या संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित करने में हड़बड़ी दिखाई ?
केरल के मौजूदा राज्यपाल पी. सदाशिवम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की सुगबुगाहट जैसे ही तेज हुई, वैसे ही मानवाधिकार संगठनों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संभवतः यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल को इस पद के लिए चुना जा रहा है।
केंद्र सरकार को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग के वरिष्ठतम सूचना आयुक्त से कहा है कि वह अपने मुखिया की अनुपस्थिति में मामले पर सुनवाई करें। अदालत ने कहा कि किसी भी तरह का बैकलॉग आरटीआई आवेदकों के हितों को खतरे में डालेगा।
लम्बी छुट्टी से लौटकर सियासी सक्रियता दिखा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को सलाह दी कि वह सोशल मीडिया पर आकर इस लोकप्रिय माध्यम का फायदा उठाए और अपने बारे में भाजपा के कथित दुष्प्रचार का जवाब दें।
मिस्र, लीबिया, ट्यूनिशिया जैसे देशों में कई दशकों से जमे तानाशाहों को जनता के विद्रोह ने सत्ता से हटने पर मजबूर कर दिया और जनता के बीच संवाद पैदा करने में मुख्य भूमिका फेसबुक और ट्वीटर जैसी वेबसाइटों ने निभाई। सोशल मीडिया ने दुनिया के कई देशों में दशकों से जमी हुई सत्ता को इतनी सुगमता से उखाड़ फेंका है कि इससे डर कर कई देशों ने अपने यहां इंटरनेट पर कड़ी सेंसरशिप लागू कर दी है।