सत्यजीत रे ने एक काल्पनिक जासूस चरित्र गढ़ा था, फेलूदा। फेलूदा इतना मशहूर हुए कि सभी को इसका इंतजार रहने लगा। यही फेलूदा नए साल में दर्शकों से मिलने आ रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से बौखलाई भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल असम विधानसभा के मद्देनजर अपनी रणनीति बदल ली है। सूत्रों के अनुसार, असम प्रदेश अध्यक्ष की कमान सिद्धार्थ भट्टाचार्य की जगह अब केंद्रीय खेलमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को सौंपी है।
बिहार में चुनाव नतीजे आने के बाद भले ही नीतीश कुमार बिहार का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हों मगर राज्य के नेताओं और नौकरशाहों को पता है कि सत्ता का केंद्र कहां रहने वाला है। तभी तो छठ पर्व के खरना वाले दिन पटना में लाल और नीली-पीली बत्ती लगी गाड़ियों की सबसे लंबी कतार लालू प्रसाद के निवास के बाहर दिखाई दे रही थी।
सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी किए गए डाक टिकट और अंतरदेशीय डाक पत्र बंद किए जाने के फैसले को लेकर आज विवाद शुरू हो गया और सरकार ने कहा कि सिर्फ एक ही परिवार को यह सम्मान नहीं मिल सकता वहीं कांग्रेस ने इस कदम को इतिहास का अपमान बताते हुए माफी मांगे जाने की मांग की।
वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर आलोचना झेल रही सरकार ने आज अपने आदेश की समीक्षा की और उन साइटों पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती। इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
मुंबई के 1993 के बम धमाकों के आरोपी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की फांसी पर यूं तो पिछले कई दिनों से राजनीति जमकर हो रही है मगर गुरुवार को उसे फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद तो जैसे नेताओं में बयानबाजी की होड़ ही लग गई।
40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्या के लिए अक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।
गुजरात सरकार कांग्रेस की आपत्तियों की अनदेखी करके इस साल अक्टूबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में अनिवार्य मतदान लागू करने का पूरा मन बना चुकी है। कांग्रेस ने राज्य सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बताया है।
यकीन करना आसान नहीं हैं। ये तीसेक साल से कुछ ज्यादा के नौजवान हैं, जिन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी हासिल भी की और फिर छोड़ भी दी। खुद का कारोबार शुरू किया और कामयाब भी हो गए। आज ये तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करते हुए असफलता का डर नहीं लगा? आर्थिक दिक्कतें नहीं आईं? जवाब देखिए, ज्यादा से ज्यादा क्या होता वापस नौकरी करनी पड़ती। इतनी पढ़ाई और काम करने के बाद इतना भराेसा तो था कि भूखे मरने वाले नहीं हैं। इसलिए ज्यादा फ्रिक नहीं हुई।