आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कर्ज के मामले में भारत की साख साख का वर्गीकरण लंबे से बेतहर न करने के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की खिंचाई की और कहा कि वे देश की नयी वास्तविकताओं को पहचाने में काफी पीछे हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों को कुछ बातें यदि दिखायी नहीं दे रही हैं तो इसका कारण वही बता सकती हैं।
सरकार ने आज भारत की सॉवरेन रेटिंग न बढ़ाने के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसियों को आड़े हाथ लिया। सरकार ने कहा कि इतने सुधार के बाद भी भारत की रेटिंग में सुधार न करने वाली एजेंसियों को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर निवेशकों का मानना है कि भारत की रेटिंग को कम या निचले स्तर पर रखा गया है।