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Search Result : "Ram Darash Mishra"

राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

उज्जैन सिंहस्थ में विश्व हिंदू परिषद के मंडप में बीते दो दिन संतों की बैठक हुई। संत समाज से आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, जूना अखाड़ा सहित कई महामंडलेश्वर, शंकराचार्य आदि शामिल हुए। बैठक में सभी ने विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय से चर्चा की।
राम नाईक का आरोप, गोविंदा ने मुझे हराने के लिए दाऊद की मदद ली

राम नाईक का आरोप, गोविंदा ने मुझे हराने के लिए दाऊद की मदद ली

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अपनी पुस्तक में आरोप लगाया है कि अभिनेता से राजनीति में आए गोविंदा ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हराने के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम की मदद ली थी।
कड़ाई से निपट रही हैं महबूबाः राम माधव

कड़ाई से निपट रही हैं महबूबाः राम माधव

भाजपा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे को प्रखर ढंग से लागू करने से लेकर सरहद पार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम भव्य आयोजनों और उनमें जुटाई जाने वाली भीड़ की जिम्मेदारी उठाने तक या यूं कहें कि मिशन इंपोसिबल को संभव करने का सेहरा नि:संदेह राम माधव के सिर पर बांधा जा सकता है। कश्मीर में साझेदारी में भाजपा की सरकार बनाने का पार्टी का और संघ का दशकों पुराना सपना मूर्त करने का काम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और संघ के प्रचारक राम माधव ने किया। कश्मीर से जुड़े तमाम पेचीदा सवालों पर आउटलुक की ब्यूरो प्रमुख भाषा सिंह की राम माधव से सीधी-सीधी बात, पेश हैं अंश:
तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

इस फिल्म का सीक्वेल देखने के बाद इच्छा होती है कि संविधान में संशोधन कर एक नियम डाला जाए कि पकाऊ सीक्वेल बनाने पर सजा का प्रावधान हो।
समीक्षा - नीरजा होने का मतलब

समीक्षा - नीरजा होने का मतलब

सोशल मीडिया, अखबारों और पत्रिकाओं में नीरजा के बहादुरी के किस्से आ जाने से यह बात फिर दोहराना जरूरी नहीं है कि उस दिन पैन एम की फ्लाइट में क्या हुआ था। जरूरी है कि इस फिल्म ने नीरजा के साथ न्याय किया है या नहीं।
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
खिड़कियां थिएटर उत्सव

खिड़कियां थिएटर उत्सव

मुंबई में खिड़कियां थिएटर उत्सव की धूम रहती है। रंगमंच के कलाकारों के साथ बॉलीवुड के सितारे में इसमें शामिल होना गर्व समझते हैं।
रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

सन 1951 में पहला काव्य संग्रह पथ के गीत का प्रकाशन। तब से निरंतर रचना कर्म में सक्रीय। आग की हंसी के लिए सन 2015 का साहित्य अकादमी सम्मान। कविता, उपन्यास, कहानी, ललित निबंध, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्तांत, डायरी, समीक्षा, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन। दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, शलाका सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, व्यास सम्मान सहित कई पुरस्कार एवं सम्मान।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।