राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ललित मोदी प्रकरण से अभी उबरी भी नहीं थी कि अब हिंदुत्व के मसले पर घिरती नजर आ रही हैं। विरोधियों के बाद अब अपनों ने ही वसुंधरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े एक संगठन ने शिक्षा नीति में बदलाव कर संस्कृत या अन्य शास्त्रीय भाषाओं जैसे अरबी, फारसी, लैटिन और ग्रीक को कम से कम चार वर्ष तक स्कूली शिक्षा में अनिवार्य बनाने की सलाह दी है।
मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
संप्रग सरकार के दौरान सोनिया गांधी के संविधानेतर शक्ति होने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भाजपा और उसके नेतृत्व वाली सरकार का संचालन आरएसएस और उनके घातक छिपे एजेंडे के अनुरूप होने का आरोप लगाया है।
उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ महाराष्ट्र की एक निचली अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि से जुड़े एक मामले में कार्यवाही पर गुरुवार को रोक लगा दी है।
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से गठित एक आयोग ने कहा है कि साल 2014 में भारत में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसक हमलों, जबरन धर्मांतरण और घर वापसी जैसे अभियानों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, भारत सरकार ने इस पर कड़ा एेतराज जताते हुए इसे खारिज कर दिया है। लेकिन मोदी राज में विश्व मंच पर भारत की छवि चमकने के दावों को तगड़ा झटका लगा है।
सन 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मकोका के आरोपों से बरी करते हुए निचली अदालत को एक माह के अंदर सभी आरोपियों की जमानत याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है।
जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।