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चिर युवा कृष्णा सोबती

चिर युवा कृष्णा सोबती

कृष्णा सोबती सबसे उम्र दराज ज्ञानपीठ विजेता हैं। 92 साल की उम्र में भी वह लेखन को लेकर उतनी ही सजग और...
कहानी - सहेलियां

कहानी - सहेलियां

प्रसिद्ध कवि और कथाकार प्रियदर्शन का जन्म 24 जून, 1968 को रांची में हुआ। उनकी कई किताबें चर्चित हुई हैं। उसके हिस्से का जादू और बारिश धुआं और दोस्त चर्चित कहानी संग्रह। नष्ट कुछ भी नहीं होता कविता संग्रह। ग्लोबल समय में कविता और ग्लोबल समय में गद्य (आलोचना)। फिल्म आलोचना पर नए दौर का नया सिनेमा नाम से पुस्तक। पत्रकारिता पर खबर-बेखबर नाम से किताब। इतिहास गढ़ता समय नाम से वैचारिक लेखन और जिंदगी लाइव नाम से जल्द ही उपन्यास आने वाला है। अनुवाद की कई किताबें। कविता संग्रह का मराठी में भी अनुवाद।
साहसिक आत्मकथा

साहसिक आत्मकथा

आत्मकथाएं वैसे भी अलग से रेखांकित की जाती हैं। ऐसे में यदि कोई आत्मकथा स्त्री द्वारा लिखी गई हो, इसके प्रति उत्सुकता बढ़ना स्वाभाविक है। और यदि यह आत्मकथा अध्यापक, आलोचक निर्मला जैन की हो तो जिज्ञासा कहां तक पहुंचेगी यह नापने का कोई पैमाना नहीं है।
वीरेन दा जब तुम्हारे न रहने की खबर आई

वीरेन दा जब तुम्हारे न रहने की खबर आई

प्रख्यात कवि वीरेन डंगवाल का मुंह के कैंसर से निधन हो गया। उनकी याद में कवि-कहानीकार प्रियदर्शन की कलम भी रो पड़ी। उन्हीं के शब्दों में, ‘मुंबई के रास्ते था। तभी वीरेन डंगवाल के न रहने की खबर सुनी। मन खराब हो गया। भिंची हुई रुलाई जैसा कुछ। इसी में जैसे तैसे कुछ लिखा। यह श्रद्धांजलि नहीं है। पता नहीं क्या है।’ तीन भावनाएं आउटलुक के पाठकों के लिए।
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