1985 तक शिवसेना केवल मुंबई तक ही सीमित थी। महाराष्ट्र में इसके प्रसार का श्रेय छगन भुजबल को जाता है। शरद पवार 1986 में अपने कांग्रेस विरोधी समूह को सकते में छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वजह से बने खाली स्थान को शिवसेना ने भरा। आज भी मुंबई की शिवसेना और बाकी महाराष्ट्र की शिवसेना में अंतर है।
पुरानी राजनीति में पगे पर्यवेक्षक बार-बार पूछ रहे हैं कि लालू प्रसाद अपने अहम और जनाधार की आशंकाओं को ताक पर रखकर नीतीश के नाम पर राजी कैसे हो गए। लालू के निजी हावभाव भरमाने वाले भले रहे हों, सार्वजनिक तौर पर उनके वक्तव्य पिछले लोकसभा चुनावों में हार के बाद पिछले उपचुनावों के वक्त से ही भाजपा विरोधी संयुक्त मोर्चे के लिए प्रतिबद्धता के रहे हैं।
झारखंड के पलामू-रांची राजमार्ग के पास पलामू पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कोबरा टीम ने सोमवार की देर रात मुठभेड़ के दौरान 12 माओवादियों को मार गिराया। बताया जाता है कि मारे गए माओवादियों में क्षेत्रीय कमांडर अनुरागजी उर्फ आरकेजी के अलावा चार बच्चे भी शामिल हैं।
अब तक कुल इक्कीस पुस्तकें प्रकाशित। तेरह कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 3 नाटक और 2 वैचारिक लेखों का संग्रह। कुछ कहानियों का फ्रेंच, स्पैनिश, अंग्रेजी, जर्मन, तेलुगु, मलयालम, तमिल, गुजराती, उर्दू, नेपाली, मराठी, मगही आदि भाषाओं में अनुवाद। कुछ कहानियों के टीवी रूपांतरण टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित। नाटकों का आकाशवाणी से प्रसारण और विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न शहरों में मंचन।
राधाकृष्ण पुरस्कार, विजय वर्मा कथा सम्मान, बिहार सरकार राजभाषा सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सर्वश्रेष्ठ चयन के आधार पर युवा लेखक प्रकाशन सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, झारखंड साहित्य सेवी सम्मान, स्वदेश स्मृति सम्मान, आनंद सागर स्मृति कथाक्रम सम्मान 2013 आदि।
उद्योगपति नवीन जिंदल को झारखंड के अमरकोंडा मुर्गादंगल कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में विशेष अदालत से जमानत मिल गई है। अदालत ने पूर्व कोयला राज्य मंत्री दासारी नारायण राव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भी जमानत दे दी है।
महाराणा प्रताप अचानक देश की राजनीति में महत्वपूर्ण हो गए हैं। तभी तो उनकी जयंती को पूरे देश में राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर देश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है और बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तेलंगाना में यह अभियान जोरों पर है।
अब आप हमारे ही घर में हमें पचास एकड़ में सिमट जाने पर बाध्य कर रहे हैं। पचास एकड़ की भीख हमें मंजूर नहीं है। हम आपके हाथ का खिलौना बनने से इंकार करते हैं, आपके अश्वमेध यज्ञ का घोडा बनने से इंकार करते हैं। हमारे नाम पर हिन्दू वोट कंसोलिडेट करना बंद करो। हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।