बैंकों में कल शुक्रवार को कामकाज प्रभावित हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छह कर्मचारी संगठनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की कल की हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के अधीन कश्मीर (पीओके) तथा गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से संबंध जोड़ने और उसको बढ़ाने की दिशा में देश की मोदी सरकार जोर शोर से तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार देश में रह रहे पीओके के विस्थापित लोगों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करने वाली है।
भारत की बलूचिस्तान और पीओके रणनीति ने पाकिस्तान को बैकफुट में डाल दी है। पीएम मोदी की पहल से गिलगित, पीओके और बलूचिस्तान के बाद अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ‘आजादी’ के नारे लगाए गए हैं। लंदन में भी पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। लंदन में बलोच और सिंधी नेताओं ने चीनी दूतावास के सामने पाकिस्तान और चीन इकॉनामिक कॉरिडोर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
प्रशासन द्वारा तीन थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरी कश्मीर घाटी से कर्फ्यू हटा दिए जाने के कारण श्रीनगर शहर में जनजीवन सामान्य की ओर लौटने लगा। हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से बीते 51 दिनों से घाटी में कर्फ्यू लगा हुआ था।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनें दो सितंबर को देश भर में हड़ताल की अपनी घोषणा से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने सरकार की ओर से हड़ताल को स्थगित करने का अनुरोध ठुकरा दिया है। इसे देखते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने श्रम मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर व्यापक विचार-विमर्श किया।
जम्मू कश्मीर के लोगों को समर्थन जारी रखने के पाकिस्तानी उच्चायुक्त के बयान को एक हारे हुए देश की हताशा करार देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पाकिस्तान दुनिया में मानवाधिकारों का सबसे बड़ा गुनाहगार है जो पीओके में लोगों पर बेइंतहा जुल्म और अत्याचार कर रहा है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकी बहादुर अली से पूछताछ के आधार पर कहा है कि उसे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से निर्देश मिलते थे। बहादुर अली ने एनआईए को बताया है कि उसे पाकिस्तान में लश्कर के ठिकानों पर ट्रेनिंग दी गई और कश्मीर में माहौल बिगाड़ने का काम सौंपा गया। इसमें पाकिस्तान सेना का भी सहयोग रहता था।
16 साल तक की भूख हड़ताल के बाद भी मणिपुर की लौह महिला इरोम शर्मिला की अच्छी सेहत का राज उनकी इच्छाशक्ति और योगाभ्यास है। इस भूख हड़ताल के दौरान उन्हें नाक से जबरन तरल भोजन दिया जाता था। शर्मिला के सहयोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार, शर्मिला ने 1998 में योग सीखा था। इसके दो साल बाद वह भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं। यह भूख हड़ताल मंगलवार को खत्म हो गई।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।