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आेलंपिक : भारतीय पहलवान नरसिंह यादव डोपिंग टेस्‍ट में फेल, नहीं जाएंगे रियो

आेलंपिक : भारतीय पहलवान नरसिंह यादव डोपिंग टेस्‍ट में फेल, नहीं जाएंगे रियो

ब्राजील में रियो ओलंंपिक अभी शुरू नहीं हुआ है पर भारत को झटके लगने लगे हैं। 74 किलोग्राम वर्ग के पहलवान नरसिंह यादव डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए हैं। राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने पुष्टि की कि नरसिंह के बी नमूने में भी प्रतिबंधित स्टेरायड के अंश पाये गए हैं। भारत के कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने नरसिंह के रियो ओलम्पिक में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है।
अभ्यास मैच में जडेजा, अश्विन का शानदार प्रदर्शन

अभ्यास मैच में जडेजा, अश्विन का शानदार प्रदर्शन

रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और अमित मिश्रा की स्पिन तिकड़ी के दम पर भारत ने दूसरे और आखिरी अभ्यास मैच के पहले दिन वेस्टइंडीज बोर्ड अध्यक्ष एकादश को सिर्फ 180 रन पर समेट दिया।
सुशील कुमार पर अदालत ने कहा, ट्रायल कराना अनिवार्य नहीं

सुशील कुमार पर अदालत ने कहा, ट्रायल कराना अनिवार्य नहीं

दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय खेल संहिता और केंद्र के अनुसार भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के लिए रियो ओलंपिक 2016 में पहलवानों के चयन के लिए ट्रायल कराना अनिवार्य नहीं है। फिर भी अदालत ने कहा कि उसने इस मामले में लंबी बहस सुनी है और वह फैसला देगी। उसने खिलाड़ी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
सुशील कुमार का आरोप डब्ल्यूएफआई वादे से मुकर रहा

सुशील कुमार का आरोप डब्ल्यूएफआई वादे से मुकर रहा

ओलिंपिक में दो बार पदक जीत चुके पहलवान सुशील कुमार ने कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ रियो खेलों से पहले पुरूष 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने के अपने वादे से मुकर रहा है। ट्रायल कराया जाना चाहिए जिससे फैसला हो सके कि उनके और नरसिंह यादव के बीच कौन बेहतर है।
तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

तेरे बिन ही ठीक थे लादेन

इस फिल्म का सीक्वेल देखने के बाद इच्छा होती है कि संविधान में संशोधन कर एक नियम डाला जाए कि पकाऊ सीक्वेल बनाने पर सजा का प्रावधान हो।
गांधी: बस नाम ही बाकी है

गांधी: बस नाम ही बाकी है

राष्ट्रपिता के रूप में ख्याति पाने वाले शख्स के नाम पर पूरे भारत में ढेरों संस्थाएं हैं, जिनका बस 'नाम’ ही बाकी रह गया है
खिड़कियां थिएटर उत्सव

खिड़कियां थिएटर उत्सव

मुंबई में खिड़कियां थिएटर उत्सव की धूम रहती है। रंगमंच के कलाकारों के साथ बॉलीवुड के सितारे में इसमें शामिल होना गर्व समझते हैं।
रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

रामदरश मिश्र की कहानी - साढ़ेसाती

सन 1951 में पहला काव्य संग्रह पथ के गीत का प्रकाशन। तब से निरंतर रचना कर्म में सक्रीय। आग की हंसी के लिए सन 2015 का साहित्य अकादमी सम्मान। कविता, उपन्यास, कहानी, ललित निबंध, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्तांत, डायरी, समीक्षा, संस्मरण आदि सभी विधाओं में लेखन। दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, शलाका सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, व्यास सम्मान सहित कई पुरस्कार एवं सम्मान।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
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