मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह मंत्रिमंडल से हटाए गए वरिष्ठ मंत्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि भाजपा में शायद अब बूढ़े मां-बाप को निकालने की पंरपरा आ गई है। पार्टी में वरिष्ठ लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
आयकर विभाग ने वैश्विक स्तर पर हुए खुलासे के बाद भारतीयों की विदेशों में रखी संपत्ति के बारे में जांच से 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाने का दावा किया है। विभाग ने करीब दो सौ इकाइयों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई शुरू की है।
सब कुछ ठीक रहा और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को अस्पताल से छुट्टी मिल गई तो कल यानी 30 जून को मध्य प्रदेश के कुछ विधायक मंत्री का दर्जा पा जाएंगे। इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे मंत्रीमंडल के विस्तार की अटकलों को विराम मिल जाएगा।
हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का पार्टी में महत्व बढ़ने लगा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उत्तराखंड दौरे के दौरान बहुगुणा सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे थे। यही नहीं शाह की केदारनाथ यात्रा में भी बहुगुणा साथ ही रहे जबकि प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को यात्रा से दूर रखा गया।
नेताओं में अंधविश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है। इसी अंधविश्वास के चलते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बद्रीनाथ की यात्रा हेलीकॉप्टर से नहीं कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जब भी किसी नेता ने हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ की यात्रा की तो उसकी कुर्सी चली गई। इसी क्रम में उनके उत्तराखंड के कार्यक्रम में भी बदलाव किया गया है। पहले यह दौरा तीन दिनों का था लेकिन अब दो ही दिन उत्तराखंड में रहेंगे।
रिण भुगतान में जानबूझकर चूक करने वालों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए आयकर विभाग ने ऐसी कंपनियों के स्थायी खाता संख्या (पैन) पर रोक लगाने, एलपीजी सब्सिडी रद्द करने और ऐसे कई कदम उठाने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि उन्हें कर्ज न मिले।
चालाकी दिखाते हुये कर अदायगी से बचने वालों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर आयकर विभाग ने अपने अधिकारियों से कहा कि वे ऐसे आरोपियों को हिरासत में लेने, उनकी जब्त संपत्तियों की नीलामी के प्रावधान का उपयोग करने में हिचकिचाहट नहीं दिखायें।
सरकार से अनुदान के तौर पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा रकम और विदेशों से 10 लाख रुपये से अधिक दान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अब लोकपाल के दायरे में आएंगे। नए नियमों के तहत, इस तरह के एनजीओ के पदाधिकारियों को लोक सेवक माना जाएगा और अनियमितताओं के मामले में भ्रष्टाचार-रोधी कानून के तहत इन पर मामला चलाया जाएगा।