मृगेन पटेल ने लिखा कि जेएनयू के कुलपति परिसर में टैंक रखवाने की बात कर रहे हैं तो माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. के कुलपति परिसर में गौशाला बनवा रहे हैं।
हार के बाद रार नहीं मंथन होना चाहिए। लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में हार ने कांग्रेस को मथ दिया है इसलिए मंथन के बजाय आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। दो राज्यों में सीधे-सीधे हार और दो राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर भी कांग्रेस के पास महज पंजाब बचा है। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने राहुल गांधी पर हमला बोल दिया है।
आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी की एसीआर लिखने की जिद पर अड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की ओर से जोर का झटका लगा है। चतुर्वेदी को नड्डा के खिलाफ अवमानना केस करने की अनुमति मिल गई है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 16 अक्टूबर को युवा कथाकार पंकज सुबीर के बहुचर्चित उपन्यास अकाल में उत्सव पर केंद्रित एक पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया है।
कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं जो अपने छोटे बजट या कम चमकते चेहरों के चलते रिलीज के समय तो ज्यादा चर्चा और कामयाबी नहीं हासिल करतीं लेकिन धीरे-धीरे उन्हें उनका वाजिब हक मिलने लगता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संजीव चतुर्वेदी को अपने विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) के रूप में तैनात करने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इससे पहले भी केजरीवाल चतुर्वेदी के लिए पीएम को पत्र लिख चुके हैं।
मूलतः चित्रकार। अनेक चित्र-प्रदर्शनियों में कला-कृतियां चयनित, प्रदर्शित। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, रेखांकन, समीक्षाएं और कला-लेख प्रकाशित। एक कहानी-संग्रह के अलावा ‘जन-वाचन’ आंदोलन के लिए लिखी कुछ पुस्तकें प्रकाशित। जनवादी लेखक संघ की पत्रिका ‘नया-पथ’ के चित्रकला-विषेषांक के अलावा भारत ज्ञान विज्ञान समिति के लिए ‘ज्ञान विज्ञान वार्ता’ के कुछ अंकों और एक बाल पुस्तक माला का संपादन। बच्चों की किताबों के लिए रचनात्मक रेखांकन। कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पुस्तिकाओं के अनुवाद प्रकाशित। सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलनों से गहरा जुड़ाव। घुमक्कड़ी और फोटोग्राफी में गहरी दिलचस्पी।
विवादों के बीच भोपाल में शुरू हुआ 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन बगैर कोई छाप छोड़े समाप्त हो गया। पूरे कार्यक्रम के आयोजन में इसके उद्घाटन और समापन पर ही आयोजकों का सारा फोकस था। पर उसके बावजूद कार्यक्रम पूरी तरह से अपने उद्देश्यों से दिशाहीन होकर समाप्त हो गया। विवादों का ही असर हुआ जिसके चलते सदी के महानायक अमिताभ बच्चन इसके समापन समारोह में अपने पहले से तय कार्यक्रम के बावजूद नहीं आए।