शासन-प्रशासन की खामियों को छिपाने के लिए यूं तो सरकारें गाहे-बगाहे प्रयास करती रहती हैं मगर ऐसा प्रयास दबे-छिपे ही किया जाता रहा है। कभी किसी सरकार ने शासन की खबरों को मीडिया तक पहुंचने के लिए ऐसा रास्ता नहीं अपनाया कि सरकारी विभागों में मीडिया को ही एक तरह से बैन कर दिया जाए।
उच्चतम न्यायालय ने उम्र कैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करने के अधिकार के इस्तेमाल की राज्य सरकारों को इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान कर दी कि यह उन मामलों में लागू नहीं होगा जिनकी जांच सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने की है और जिन्हें टाडा जैसे केंद्रीय कानून के तहत सजा मिली है।
संयुक्त राष्ट्र से जात आधारित भेदभाव को स्वीकार कर अपने मसौदे में शामिल करने की मांग ने जोर पकड़ा। एशिया दलित राइट्स फोरम ने मसौदे में सात संशोधन पेश किए।
अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।
विभिन्न राज्यों में धड़ल्ले से बंद किए जा रहे सरकारी स्कूल दरअसल मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा पाने के बच्चों के मौलिक अधिकार पर प्रहार है। बंद स्कूलों की कुल संख्या एक लाख से भी अधिक होने की आशंका