उत्तरी सीरिया की एक मस्जिद में हुए एक विस्फोट में अल-कायदा के सीरियाई संगठन के 25 सदस्य मारे गए। मरने वालों में इस संगठन का एक नेता भी शामिल था। एक निगरानी समूह के अनुसार, यह विस्फोट उस समय हुए, जब वे लोग मगरिब की नमाज पढ़ने के लिए एकत्र हुए थे।
दिल्ली में 1993 के बम विस्फोट मामले में दोषी करार दिए गए प्रो. देवेन्दर पाल सिंह भुल्लर को कड़ी पुलिस सुरक्षा में दिल्ली की तिहाड़ जेल से अमृतसर के केंद्रीय कारागार ले जाया गया। एंबुलेंस में लाए गए भुल्लर को दिल्ली पुलिस की सशस्त्र टीम की सुरक्षा में लाया गया। इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। वर्ष 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे एक राजनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
सन 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मकोका के आरोपों से बरी करते हुए निचली अदालत को एक माह के अंदर सभी आरोपियों की जमानत याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है।