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मेसी को पछाड़कर रोनाल्डो तीसरी बार बने यूइएफए प्लेयर ऑफ द ईयर

मेसी को पछाड़कर रोनाल्डो तीसरी बार बने यूइएफए प्लेयर ऑफ द ईयर

32 साल के रोनाल्डो ने रियल मैड्रिड को लगातार दूसरा चैंपियंस लीग खिताब दिलाने में अहम भूमिका अदा की। चैंपियंस लीग के पिछले सत्र में वे 12 गोल के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर भी रहे।
द्रोणाचार्य पुरस्कार से हटा गोल्ड दिलाने वाले कोच सत्यनारायण का नाम

द्रोणाचार्य पुरस्कार से हटा गोल्ड दिलाने वाले कोच सत्यनारायण का नाम

अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न पुरस्कार की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और भारोत्तोलक संजीता चानू को अर्जुन पुरस्कार नहीं मिल सकेगा।
सिलेक्टर्स को 15-15 लाख रुपये देने पर भड़के पूर्व क्रिकेटर मदनलाल

सिलेक्टर्स को 15-15 लाख रुपये देने पर भड़के पूर्व क्रिकेटर मदनलाल

मदनलाल ने ट्विटर पर लिखा, "यह पढ़कर हैरान हूं कि चयनकर्ताओं को सर्वश्रेष्ठ टीम का चयन करने के लिए 15-15 लाख रुपए दिए जाएंगे। उन्हें खराब नहीं सर्वश्रेष्ठ टीम का ही चयन करना होता है।
नहीं रहे पीपली लाइव के एक्टर सीताराम पंचाल

नहीं रहे पीपली लाइव के एक्टर सीताराम पंचाल

पान सिंह तोमर और पीपली लाइव जैसी फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाने वाले अभिनेता सीताराम पंचाल का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे।
12 साल पहले खेल रत्न अवार्ड मिलता, तो ज्यादा खुशी होती: पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया

12 साल पहले खेल रत्न अवार्ड मिलता, तो ज्यादा खुशी होती: पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया

रियो डे जेनेरियो में जैवलिन थ्रो के एफ-46 इवेंट में 63.97 मीटर जैवलिन फेंककर देवेंद्र ने एथेंस ओलंपिक के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता था।
हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह और पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुने गए

हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह और पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुने गए

देवेंद्र झाझरिया रियो पैरालंपिक खेलों में भाला फेंक की एफ-46 इवेंट में गोल्ड जीता था। देवेंद्र ने इससे पहले भी 2004 के एथेंस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता था।
बीमारियों पर आधारित 10 बेहतरीन बॉलीवुड फिल्में

बीमारियों पर आधारित 10 बेहतरीन बॉलीवुड फिल्में

बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से लीक से हटकर फिल्में बनाने का दौर चल रहा है। यूं तो बॉलीवुड में हमेशा से जब-तब अलग तरह के विषयों पर फिल्में बनती रहीं हैं। पहले इन फिल्मों को दर्शक वर्ग न होने का बहाना बनाकर खारिज कर दिया जाता था। पर अब पिछले कुछ समय मे सोशल मीडिया के कारण हर मुद्दे के बारे में लोग की समझ बढ़ी है।
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