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ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

मिसरा बेशक यह साहिर लुधियानवी के गीत का है लेकिन अफसानानिगार सआदत हसन मंटो पर सटीक बैठता है। ताउम्र ढोंग, तमाशे और साहित्य की राजनीति से दूर रहने वाले मंटो ने कहा था- ‘ हर शहर में बदरौएं और मोरियां मौजूद हैं जो शहर की गंदगी को बाहर ले जाती हैं। हम अगर अपने मरमरी गुसलखानों की बात कर सकते हैं, अगर हम साबुन और लैवेंडर का जिक्रकर सकते हैं तो उन मोरियों और बदरौओं का जिक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन की मैल पीती हैं।‘ मंटो की 100वीं जन्मशताब्दी से लेकर आज तक उनके नाम पर उनके तथाकथित मुरीदों ने राजनीति, तमाशा और ढोंग ही किया है। मंटो के इन मुरीदों को वह सब चाहिए जो मंटो को नहीं चाहिए था। मंटो के माएने तो यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है।
533 भूकंप पीड़ितों का पशुपतिनाथ के घाट पर अंतिम संस्कार

533 भूकंप पीड़ितों का पशुपतिनाथ के घाट पर अंतिम संस्कार

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मरे 530 से ज्यादा लोगों का यहां के पशुपतिनाथ मंदिर के घाटों पर अंतिम संस्कार किया गया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
मालेगांव विस्फोटः साध्वी प्रज्ञा मकोका से बरी

मालेगांव विस्फोटः साध्वी प्रज्ञा मकोका से बरी

सन 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मकोका के आरोपों से बरी करते हुए निचली अदालत को एक माह के अंदर सभी आरोपियों की जमानत याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है।
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