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पद संभालने के 4 दिन बाद ही फीफा अध्यक्ष का इस्तीफा

पद संभालने के 4 दिन बाद ही फीफा अध्यक्ष का इस्तीफा

भ्रष्‍टाचार के आरोपों से घिरे अंतरराष्‍ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) के अध्‍यक्ष सैप ब्‍लाटर ने पांचवी बार पद संभालने के चार दिन बाद ही इस्‍तीफा दे दिया है। रिश्‍वतखोरी के मामले में फीफा उपाध्‍यक्ष समेत सात अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद उन पर यूरोपीय देशों का दबाव बढ़ गया था। यूरोप के कई देश फीफा से हटकर अलग विश्‍व कप कराने की मुहिम छेड़ चुके हैं।
ब्लाटर के हटते ही फीफा अध्यक्ष बनने की होड़ शुरू

ब्लाटर के हटते ही फीफा अध्यक्ष बनने की होड़ शुरू

फीफा अध्यक्ष पद से सैप ब्लाटर ने बुधवार को आश्चर्यजनक तरीके से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद स्कैंडल में फंसे फीफा की छवि को सुधारने के लक्ष्य के साथ इस संगठन के अध्यक्ष पद के लिए नये सिरे से दौड़ शुरू हो गई है।
अमेरिका में 42 फीसदी बढ़ेगी भारतीय पर्यटकों की संख्‍या

अमेरिका में 42 फीसदी बढ़ेगी भारतीय पर्यटकों की संख्‍या

भारतीय पर्यटकों में अमेरिका का क्रेज बढ़ता जा रहा है। वहां इस साल भारतीय पर्यटकों की संख्‍या 42 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। पिछले साल के मुकाबले करीब चार लाख ज्‍यादा भारतीय अमेरिका की सैर करेंगे।
संतुलन के दौर में मोदी की इस्राइल यात्रा

संतुलन के दौर में मोदी की इस्राइल यात्रा

पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित इस्राइल यात्रा 1992 में शुरू हुई लंबी प्रक्रिया की तार्किक परिणति है, ले‌किन ऐसे वक्त में हो रही है जब थोड़ा संतुलन साधने की जरूरत है।
राजपक्षे को क्यों सता रहा है लिट्टे का डर

राजपक्षे को क्यों सता रहा है लिट्टे का डर

श्रीलंका से तमिल विद्रोहियों को पूरी तरह कुचल देने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को डर सता रहा है कि इतनी मुश्किल से हराए गए अलगाववादी तमिल टाइगर्स फिर से एकजुट हो सकते हैं और देश में आतंकवाद फिर से पनप सकता है।
स्वीडन नहीं है भारत का प्रांत

स्वीडन नहीं है भारत का प्रांत

भारत में मीडिया, जनमत और धारणाएं मैनेज की अपनी काबिलियत से यह सरकार अभिभूत हो गई दिखती है। इतना कि अपनी महान क्षमताओं के कल्पना-लोक में मदोन्मत्त विचरती वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया या फिर भारत के लिए दशकों से शूल बने पड़ोसी देश के फौजी प्रतिष्ठान को अपने बड़बोलेपन और धौंस-पट्टी से ही प्रभावित कर लेना चाहती है।
न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

संविधान का अनुच्छेद 124 मूल रूप से यह कहता है, 'सुप्रीम कोर्ट के हर जज की नियुक्ति राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के संबंधित जजों से सलाह-मशविरे से करेंगें जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से हमेशा सलाह ली जाएगी। जजों की नियुक्ति एवं तबादले में किसकी चलेगी इसे लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका में 1980 के दशक से ही जोर-आजमाइश चल रही है।