पाउलो कोएलो की 11 मिनट्स किताब जिन लोगों ने पढ़ी है उन्हें इन 11 मिनट्स की उपयोगिता पता होगी। हाल ही में आई एक शॉर्ट फिल्म ने मजाकिया अंदाज में धूम्रपान से जोड़ कर अच्छा संदेश दिया है।
विरोध, प्रदर्शन, आंदोलन, लोकतंत्र में अनुचित नहीं माने जाते। लेकिन अपने खेत-खलिहान-घर-आंगन को सुरक्षित रखने के साथ मासूम बच्चों के स्कूलों, बीमार और घायलों का उपचार करने वाले अस्पतालों, गांव से कस्बों तक पहंुचाने वाली बसों अथवा जानमाल की सुरक्षा के लिए बनाए गए थानों को आग लगाने के बजाय सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी तो समाज की है।
राजनेता हों या अधिकारी, कारपोरेट किंग पूंजीपति या मजदूर – अदालत और अस्पताल पहंुचते ही कांपने लगते हैं। अपराध छोटा हो या बड़ा – कानून का शिकंजा खतरनाक साबित हो सकता है। इसी तरह हाथ या पैर की ऊंगली का नाखून ही निकला हो अथवा हृदय रोग – सर्जन के चमकते चाकू से निकलने वाला नतीजा जिंदगी दे या ले सकता है।
लोकतंत्र में असहमति् और प्रतिपक्ष अपरिहार्य है। भारी बहुमत के बावजूद सत्तारूढ़ पक्ष को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि मंत्री या अधिकारी निरंकुश न हो जाएं। इस दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के बजट सत्र से पहले प्रतिपक्ष के नेताओं के साथ्ा बैठक की सही पहल की है।
बहुत पहले अमेरिकी पत्रिका ने भारत के विकास की खिल्ली उड़ाते हुए बैलगाड़ी में अंतरिक्ष विमान ले जाने वाला एक फोटो छापा था। इसी तरह यूरोप में मुझसे लोग पूछते थे, ‘भारत के लोगों ने कभी रेलगाड़ी या हवाई जहाज देखा है? क्या अधिकांश आबादी छाल-पत्ते लपेटकर रहती है?’ अब ऐसे मजाक का कोई नहीं कर सकता है। अब संपन्न देशों के लोग भारत की प्रगति से चकित हैं और उनका धंधा और सिलीकॉन वैली भारतीयों पर निर्भर रहने लगी है।
अपने बयानों से हमेशा विवादास्पद और सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मंगलवार को पाकिस्तान में यह कहकर भारत को असमंजस में डाल दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने से ही भारत और पाकिस्तान के मसले सुलझ सकते हैं। अय्यर ने यह बयान पाकिस्तान के एक टीवी एंकर को दिया।
प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल में अजय देवगन ने रंग जमा दिया था। अब इसी गंगाजल का दूसरा भाग बन कर तैयार है। फिल्म का पोस्टर जारी हुआ है जिसमें आंखों में आंसू और भिंचे हुए जबड़े के साथ पुलिस की वर्दी में प्रियंका चोपड़ा दिख रही है। प्रियंका पहली नजर में एक ताकतवर और मजबूत छवि वाली आईपीएस अधिकारी लग रही हैं।
जापानी अपराध कथा लेखक कीगो हिगाशिमो के उपन्यास, द डिवोशन ऑफ सस्पेक्ट एक्स पर मलयालम में एक फिल्म बनी, दृश्यम। मोहनलाल अभिनीत यह फिल्म खूब चली। अब यही फिल्म हिंदी में दर्शकों के लिए हाजिर है।