2013-14 में देशभर में स्कूलों में वंचित वर्ग के छात्रों के लिए कानून के इस उपबंध के तहत आरक्षित सीटों की संख्या 21,40,287 थी जिसमें से केवल 29 प्रतिशत ही भरी जा सकीं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने खेती-किसानी और सड़क-बिजली-पानी को केन्द्रबिन्दु में लेते हुए वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया है। एक ओर बजट में अगले वित्त वर्ष को किसान वर्ष घोषित किया गया है तो दूसरी ओर मेट्रो रेल, लखनउ-आगरा ऐक्सप्रेस वे तथा बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी पर विशेष बल दिया गया है।
बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।