बैंकरों और उद्योग जगत के नेताओं ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के कदम को साहसिक और क्रांतिकारी कदम बताकर इसका स्वागत किया और लेनदेन सुगम बनाने में अपनी प्रतिबद्धता जताई।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि बैंकों में पुराने 500 और 1,000 के नोट जमा कराने पर किसी तरह की कर माफी नहीं मिलेगी और इस तरह के धन के स्रोत पर कर कानून लागू होगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 500 रूपए और 1000 रूपए के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और इस बात पर हैरानी जताई कि आखिर 2000 रूपए का एक नया नोट लाने से काले धन की जमाखोरी कैसे मुश्किल हो जाएगी?
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से 500 और 1000 रूपए के मौजूदा नोटों को अमान्य करार दिए जाने के फैसले में खामियां गिनाते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि यदि मकसद काले धन से निपटना है तो उसने 2000 रूपए के नोट जारी करने का फैसला क्यों किया। कांग्रेस ने 2000 रूपए के नए नोट जारी करने के फैसले को पहेली करार दिया।
केंद्र सरकार की ओर से 500 और 1000 रूपए के नोटों को अमान्य करने के फैसले से होने वाली असुविधाओं के कारण आम लोगों में जहां घबराहट पैदा हो गई, वहीं ट्विटर पर सक्रिय लोगाें ने सरकार के इस निर्णय और भविष्य में होने वाले असर पर खूब चुटकियां ली।
केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद किए जाने का असर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। हालांकि सभी पार्टियां केंद्र सरकार के इस कदम से खुद पर पड़ने वाले असर के मुद्दे पर खामोश हैं, लेकिन चुनावों के लिए पार्टियों द्वारा चंदा एकत्र किए जाने के अब तक के तौर-तरीकों से यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े नोटों का चलन बंद हो जाने से उन पर क्या असर पड़ेगा।
जाने-माने चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा की सराहना की और इसे साहसी कदम बताया, साथ ही यह सवाल भी किया कि 2000 रूपये के नये नोट जारी करने की क्या जरूरत थी ?
सरकार ने मंगलवार मध्यरात्रि से 500 और 1,000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से वापस लेने का फैसला किया है। नागरिकों को ज्यादा परेशानी नहीं हो सरकार ने इसके लिये निम्न कदमों की घोषणा की है।
अर्थव्यवस्था में चलन से 500 और 1,000 रपये के नोट को अचानक वापस लेने का सरकार फैसला अब तक का एकमात्र नया फैसला नहीं है। इससे पहले भी जनवरी 1946 में और फिर 1978 में 1,000 रुपये और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका है।