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Search Result : "‘गलत’ राष्ट्रपति"

तरक्की कर रही है अर्थव्यवस्था-राष्ट्रपति

तरक्की कर रही है अर्थव्यवस्था-राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार के कई निर्णायक कदमों के कारण मुद्रास्फीति रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया और अर्थव्यवस्था फिर से उच्च वृद्धि के मार्ग पर है।
नशीद की गिरफ्तारी से भारत चिंतित

नशीद की गिरफ्तारी से भारत चिंतित

देश की समुद्री सीमा पर भारत के लिए चिंता की नई वजह पैदा हो गई है। पड़ोसी देश मालदीव के भारत समर्थक समझे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को पुलिस ने आतंकवाद रोधी कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया है। नशीद वर्तमान में विपक्षी नेता हैं।
कौन खरीदेगा प्रधानमंत्री का लखटकिया सूट

कौन खरीदेगा प्रधानमंत्री का लखटकिया सूट

आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विवादित 10 लाख रुपये के सूट को तिलांजलि देनी ही पड़ी। प्रधानमंत्री के नाम की पट्टी वाले इस सूट की नीलामी प्रधानमंत्री मोदी को मिले 455 तोहफों के साथ हो रही है।
राष्ट्रपति की शरण में नीतीश

राष्ट्रपति की शरण में नीतीश

बिहार का राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने राज्यपाल की भूमिका की आलोचना की है। वह अपने दल-बल के साथ राष्ट्रपति की शरण में जाने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं।
'आप' की जीत में ओबामा फैक्टर

'आप' की जीत में ओबामा फैक्टर

भारत में बढ़ रही धा‌र्मिक असहिषुणता से महात्मा गांधी को भी सदमा लगता। ओबामा के इस बयान ने बड़ी संख्या में युवाओं को आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ़ मोड़ा।
अफजल गुरु की फांसी गलत: थरूर

अफजल गुरु की फांसी गलत: थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अफजल गुरु की फांसी की सजा को गलत बताया है। उन्होंने गुरु की फासी की सजा की दूसरी बरसी पर एक ट्वीट कर यह बात कही है।थरूर की इस बात की राजनीतिक हलकों में जोर-शोर से चर्चा है।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?