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										    अब राजनीतिक चुनाव सिर्फ सभाओं,  जुलूसों,  नारेबाजियों और पोस्टरों के जरिये नहीं लड़े जाते हैं। इस जंग का एक और ऐसा मैदान है जो दिखाई तो नहीं देता लेकिन वहां महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस होती है। जनमत बनता है। जंग का यह नया मैदान सोशल मीडिया है। इस नए मैदान की लागत कम है और इसका फल इस मायने में मीठा है कि यह जनता को प्रभावित करने की जबरदस्त क्षमता रखता है। आज लगभग तमाम केंद्रीय मंत्री, सरकार, राज्य सरकारें, छोटे-बड़े नेता, विधायक, सांसद, मंत्रालय और राजनीतिक पार्टियों समेत देश की तमाम प्रभावशाली हस्तियां सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही हैं।     
										
                                                                                
                                     
                                                 
  
  
  
  
  
  
  
  
  
			 
                     
                    