प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ करते हुए कहा कि एक मंत्री के तौर पर उन्होंने ने जो काम किया वह किसी भी पूर्व मंत्री ने नहीं किया।
जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के 10 आरोपी छात्रों में से एक छात्र उमर खालिद के पिता ने आज कहा है कि यह न्यायपालिका को तय करना है कि वह मामले में संलिप्त था या नहीं। साथ ही उन्होंने मांग की कि उनके बेटे को मीडिया ट्रायल से अलग रखा जाए।
जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना सैयद महमूद मदनी ने कहा है कि मुसलमान बाइचांस इंडियन नहीं बल्कि बाइच्वाइस इंडियन हैं और वतन से प्यार था इसलिए वे भारत में रुके। मदनी ने यह बातें मेरठ में आयोजित हुसूले इंसाफ सम्मेलन में बोलीं।
इसे वक्त की बेरुखी कहें या किस्मत का खेल, लेकिन शंघाई स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए फख्र के लम्हे जुटाने वाला एक दिव्यांग एथलीट इन दिनों रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। लखनउ के हामिद ने 2007 में शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया था। लेकिन अफसोस कि इतनी बड़ी उपलब्धि भी उसकी किस्मत नहीं बदल सकी और आज वह अपने गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने को बाध्य है।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इंतिजार हुसैन ने 2 फरवरी 2016 को इस संसार से विदा ले ली। भारत में पैदा हुए इंतिजार की शिक्षा पहले हापुड़ फिर मेरठ कॉलेज से हुई थी। सन 2012 में सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर पाकिस्तान के नामी अफसानानिगार इंतिजार हुसैन भारत आए थे। विभाजन के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी रूह भारत में ही रहती थी। उनकी कहानियों में अलग तरह का दर्शन था। बस्ती, हिंदुस्तान से आखिरी खत उनकी लोकप्रिय कृतियों में से है। तब उन्होंने आउटलुक से ढेर सी बात की थी। उनके साक्षात्कार में उन्होंन बताया था भारत और भारतीयता की समझ को। उनका भारत में दिया गया अंतिम साक्षात्कार
यह लगभग चार साल पहले की बात है। भारत में अफसानानिगार सआदत हसन मंटों की 100वीं जन्मशताब्दी मनाई जा रही थी। दिल्ली और पंजाब में कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे थे। इस सिलसिले में एक कार्यक्रम दिल्ली में भी आयोजित हुआ जिसमें मंटो पर बात करने के लिए पाकिस्तान से कई अफसानानिगार और बुद्धिजीवि आए। उसी कार्यक्रम में पाकिस्तान के मशहूर उर्दू कहानिकार और पत्रकार इंतिजार हुसैन भी आए थे। वहीं उनसे पहली मुलाकात रही। हमेशा से इंतिजार हुसैन उतने ही भारतीयों के भी रहे जितने वह पाकिस्तान के थे। वह भी मंटो की बेबाक लेखनी के दीवाने थे। इंतजार साहब का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के दिबाई गांव में हुआ था। मंगलवार को 93 वर्षीय इस लेखक का पाकिस्तान में निधन हो गया। भारत में किस प्रकार सोशल मीडिया पर लोगों ने इंतिजार साहब को याद किया-
आईएसआईएस की ओर से भारतीय नौजवानों को कथित तौर पर आकर्षित करने के प्रयासों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं से मुलाकात की और आतंकी समूह के मंसूबों को नाकाम करने में उनका सहयोग मांगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लंबे समय से चली आ रही इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। प्रणब ने इन अटकलों को गलत और द्वेषपूर्ण करार दिया है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों पर आधारित किताब, दि टर्बुलेंट ईयर्स:1980-1996 का गुरुवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने विमोचन किया। किताब में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की घटना का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने लिखा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी का गलत निर्णय था। मुखर्जी ने बाबरी विध्वंस को पूर्ण विश्वासघात करार दिया जिसने भारत की छवि नष्ट कर दी।
पाकिस्तान के बाचा खान यूनिवर्सिटी पर बुधवार की सुबह हुए आतंकी हमले में छात्रों की हिफाजत करने के लिए विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने कफी देर तक आतंकियों का मुकाबला किया। यूनिवर्सिटी में रसायनशास्त्र के असिस्टेंट प्रफेसर सैयद हामिद हुसैन ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से काफी देर तक आतंकियों काे चुनौती दी और अपने छात्रों की जान बचाते हुए आखिर में शहीद हो गए। आतंकी हमले में बचे छात्रों ने अपने इस प्रोफेसर के कारनामे के बारे में जानकारी दी है।