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पीवी सिंधू और साक्षी मलिक सहित चार खिलाडि़यों को खेल रत्न पुरस्कार

पीवी सिंधू और साक्षी मलिक सहित चार खिलाडि़यों को खेल रत्न पुरस्कार

सरकार ने पहली बार अप्रत्याशित कदम उठाते हुए इस साल चार खिलाडि़यों को देश का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देने का फैसला किया है। इनमें ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू और साक्षी मलिक के अलावा जिम्नास्ट दीपा कर्मकार और निशानेबाज जीतू राय भी शामिल हैं। खेल मंत्रालय ने आज इसकी घोषणा की।
साक्षी ने ओलंपिक में कांस्य जीत इतिहास रचा

साक्षी ने ओलंपिक में कांस्य जीत इतिहास रचा

साक्षी मलिक ने महिला कुश्ती की 58 किग्रा स्पर्धा में रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक जीतकर आज यहां रियो ओलंपिक खेलों में भारत को पदक तालिका में जगह दिलाई और 11 दिन की मायूसी के बाद भारतीय प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया।
हरियाणा ने साक्षी को 2.5 करोड़ का इनाम और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की

हरियाणा ने साक्षी को 2.5 करोड़ का इनाम और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की

रियो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला पहलवान साक्षी मलिक को हरियाणा सरकार ने 2.5 करोड़ रुपए और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। हरियाणा की साक्षी ने किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा को 8-5 से हराकर इतिहास रच दिया। साक्षी इसके साथ ही ओलिंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई। उन्होंने कांस्य पदक उसी तरह जीता जैसे सुशील कुमार ने 2008 में पेइंचिंग ओलिंपिक में जीता था। 2012 लंदन ओलिंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी रेपशाज के जरिए कांस्य अपने नाम किया था।
अब कोई नहीं कहेगा कि लड़कियां कुश्ती लड़ती अच्छी नहीं लगती : साक्षी के पिता

अब कोई नहीं कहेगा कि लड़कियां कुश्ती लड़ती अच्छी नहीं लगती : साक्षी के पिता

रियो ओलंपिक में भारत को पहला तमगा दिलाने वाली साक्षी मलिक के अखाड़े में उतरने के फैसले पर बिरादरी के लोगों का विरोध झेलने वाले उनके पिता सुखबीर मलिक का सीना आज फख्र से चौड़ा है और उन्होंने कहा कि अब उनसे कोई नहीं कहेगा कि लड़कियां पहलवानी करती अच्छी नहीं लगतीं। साक्षी की उपलब्धि अन्य लड़कियों के लिए प्ररेणा बनेगी।
कांस्य पदक मेरी 12 बरस की मेहनत का नतीजा: साक्षी

कांस्य पदक मेरी 12 बरस की मेहनत का नतीजा: साक्षी

कांस्य पदक के साथ रियो ओलंपिक में भारत के पदक का सूखा खत्म करने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह उनके 12 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
आलू के परांठे और कढ़ी चावल खाना चाहती है साक्षी

आलू के परांठे और कढ़ी चावल खाना चाहती है साक्षी

पदक तक पहुंचने के लिए लंबी तपस्या की है साक्षी ने। साक्षी को अर्सा हो गया अपना मनपंसद खाना खाए। घर लौटकर अब वह आलू के परांठे और कढ़ी चावल खाना चाहती है।
नेता-अभिनेता, खिलाड़ी सभी को साक्षी की उपलब्धि पर गर्व

नेता-अभिनेता, खिलाड़ी सभी को साक्षी की उपलब्धि पर गर्व

राष्टपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला पहलवान साक्षी मलिक को रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि उसने इस ऐतिहासिक उपलब्धि से देश को गौरवान्वित किया है।
‘बेटी ने छाती चौड़ी कर दी’

‘बेटी ने छाती चौड़ी कर दी’

अपने दादा-दादी का नाम लेकर मैदान में उतरने वाली साक्षी मलिक का पैतृक गांव मोखरा जश्न में डूबा है। शहर के सेक्टर-3 स्थित मकान नंबर 45 में माहौल ऐसा, मानो कि मेला लगा हो। आधी रात से शुरू पटाखों का धूम-धड़ाका अभी तक थम नहीं रहा, वहीं बैंड-बाजे, हरियाणवी गीतों पर नाच-गाना भी जमकर हो रहा है। पिता सुखबीर मलिक और मां सुदेश मलिक तो खुशी के मारे ‘बावले’ से घूम रहे हैं। आंखों में खुशी के आंसू लिए कहते हैं, ‘बेटी ने छाती चौड़ी कर दी, बता दिया बेटियां किसी से कम नहीं।’
‘आखिर महाराज देखना क्या चाहते थे, जनता को बताएं?’

‘आखिर महाराज देखना क्या चाहते थे, जनता को बताएं?’

सोशल मीडिया पर उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज का एक विवादित वीडियो वायरल हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में पुलिस कार्रवाई के दौरान एक लड़की के साथ कथित तौर पर मारपीट एवं बलात्कार की कोशिश की गई। बताया जा रहा है कि जख्म दिखाने के लिए उस लड़की को सभी के सामने जींस के बटन खोलने के लिए कहा गया। आरोप है कि महाराज ने लड़की की जींस के बटन खुलवाकर उसके जख्म देखने चाहे। इसे लेकर सोशल मीडिया पर साक्षी महाराज की तीखी आलोचना हो रही है। कोई इसे गंदी बात लिख रहा है तो कोई शर्मनाक बता रहा है।
हुसेन जन्‍मशती: देशनिकाले का कैनवास

हुसेन जन्‍मशती: देशनिकाले का कैनवास

इमर्जेंसी के दिनों में हुसेन को इंदिरा गांधी प्रेम के कारण बदनामी भी मिली। उन्होंने इंदिरा में दुर्गा छवि खोज ली थी। लेकिन हिंदुवादी फासिस्ट ताकतों ने बाद में हुसेन पर जो हमले किए, जिस तरह से उन्हें बदनाम किया उसके पीछे असली हुसेन को न जानना और धर्मांधता ही थी।
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