प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट www.pmindia.gov.in अब बहुभाषी हो गई है। अंग्रेजी और हिन्दी के साथ-साथ अब से यह वेबसाइट छह क्षेत्रीय भाषाओं बंगाली, गुजराती, मलयालम, मराठी, तमिल और तेलगू में भी उपलब्ध होगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस वेबसाइट का विधिवत शुभारंभ किया।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एबीजेएएसएस) ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पांच जून से हरियाणा में फिर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। इसे देखते हुए हरियाणा में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। राज्य के 8 जिलों में धारा 144 लगाई गई है। आंदोलन को रोकने के लिए खट्टर सरकार हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करेगी।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में कुछ दिनों पहले कथित रूप से बलात्कार की शिकार हुई एक मूक-बधिर महिला का पिछले छह दिनों में डाक्टरी परीक्षण केवल इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि सरकारी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं थी।
यदि आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हैं और उनसे मिलने की इच्छा रखते हैं तो यह इच्छा आपकी पूरी हो सकती है। इसके लिए आपको पांच मिनट में 20 सवालों के जवाब देने होंगे। आप पांच मिनट में 20 सवालों के जवाब दे देते हैं तो आपको एक प्रमाणपत्र मिलेगा जिस पर पीएम मोदी के हस्ताक्षर होंगे और उनसे मुलाकात का मौका भी आपके पास होगा।
ऑल इंडिया रेडियो के विदेश सेवा प्रभाग की फारसी सेवा एक मल्टीमीडिया वेबसाइट और मोबाइल ऐप शुरू कर रही है। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब रविवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा शुरू हो रही है।
केरल की तुलना सोमालिया से करने पर पीएम नरेंद्र मोदी की माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर जमकर आलोचना की जा रही है। मोदी ने राज्य में हाल ही में दिए एक भाषण में केरल राज्य की तुलना सोमालिया से की थी। बुधवार सुबह ट्विटर के टॉप ट्रेंड में मोदी भी शामिल थे।
पाकिस्तान में शिया समुदाय को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा और नफरत के खिलाफ पुरजोर आवाज बुलंद करने वाले प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम जकी और उनके मित्र की तालिबानी चरमपंथियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
सत्ताधारियों को तलवार लटकाना बहुत अच्छा लगता है। इसी तरह मीडिया का एक वर्ग सदा यह समझता रहा है कि वह सर्वशिक्तमान है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सत्ता को बनाने-बिगाड़ने और देश की दशा तय करने का काम कर सकता है। यह दोनों प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनुचित है।
उत्तराखंड में 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का काम पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा है। गैर सरकारी संगठनों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।