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Search Result : "संविधान संशोधन"

हड़ताल: एक दिन के लिए गुल हो सकती है बत्‍ती

हड़ताल: एक दिन के लिए गुल हो सकती है बत्‍ती

विद्युत संशोधन विधेयक, 2014 का विरोध कर रहे बिजलीकर्मियों तथा अभियंताओं की एक राष्ट्रीय समिति ने मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश किए जाने वाले दिन देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने सोमवार को लखनऊ में बताया कि बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर देश के 12 लाख बिजली कामगार और इंजीनियर संसद के मानसून सत्र के दौरान एक दिन की हड़ताल के लिए तैयार हैं।
मोदी सरकार को शिकस्‍त देता भूमि अधिग्रहण का मुद्दा

मोदी सरकार को शिकस्‍त देता भूमि अधिग्रहण का मुद्दा

सरकार पर 'किसान विरोधी' होने का दाग लगवाकर भी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की जिद्द पर अड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही मुद्दा नीतिगत मोर्चे पर शिकस्त दे रहा है। बुधवार को हुई नीति आयोग की बैठक में तकरीबन साफ हो गया कि केंद्र सरकार संसद के जरिये भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की आस छोड़कर राज्‍यों को अपने कानून बनाने के लिए प्रेरित करेगी। हालांकि, मोदी सरकार से यह प्रेरणा लेने के लिए केवल 16 मुख्यममंत्री मौजूद थे। यानी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कवायद पूरे देश के बजाय अब एनडीए शासित राज्यों तक सिमट जाएगी। लेकिन इसके खतरे भी कम नहीं हैं।
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
सैनिकों को दे न दे, जजों को वन रैंक वन पेंशन देगी सरकार

सैनिकों को दे न दे, जजों को वन रैंक वन पेंशन देगी सरकार

देश के सैनिकों की दशकों से उठ रही वन रैंक वन पेंशन की मांग को पूरा करने में हीला हवाली कर रही केंद्र सरकार देश के उच्च न्यायालयों के जजों को वन रैंक वन पेंशन देने की तैयारी कर चुकी है।
क्या ओली हो जाएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री

क्या ओली हो जाएंगे नेपाल के प्रधानमंत्री

नेपाल में अर्से से लंबित संविधान क्या इस माह के अंत तक लागू हो पाएगा इसको लेकर नेपाल के सियासी गलियारे में चर्चाएं तेज हैं। क्योंकि संविधान लागू होते ही नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के साथ हुए समझौते के मुताबिक सीपीएन-यूएमएल के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होगा और इसके नेता केपी ओली नेपाल के नए प्रधानमंत्री बनेंगे।
हिंदू राष्ट्र नहीं धर्मनिरपेक्ष होगा नेपाल

हिंदू राष्ट्र नहीं धर्मनिरपेक्ष होगा नेपाल

नेपाल के राजनीतिक दल नए संविधान को अंगीकार करने के मुहाने पर पहुंच गए हैं। नेपाल की संविधान मसौदा समिति ने एक बड़ी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस संविधान के लागू हो जाने पर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी।
नेगोशिएबल इंस्टूमेंट अधिनियम में संशोधन करेगी सरकार

नेगोशिएबल इंस्टूमेंट अधिनियम में संशोधन करेगी सरकार

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जिनमें चेक बाउंस होने के मामले में नेगोशिएबल इंस्टूमेंट अधिनियम के अलावा मर्चेंट शिपिंग अधिनियम में संशोधन, बांग्ला‍देश, भूटान, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) के बीच यात्री, निजी एवं कार्गो वाहनों के यातायात को नियंत्रित करने के मद्देनजर बीबीआईएन मोटर-वाहन समझौते पर हस्‍ताक्षर को मंजूरी दी है।
राज्यों की नई मांगों से अटक सकता है जीएसटी

राज्यों की नई मांगों से अटक सकता है जीएसटी

केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अप्रैल 2016 से लागू करने का मन बनाया है लेकिन राज्यों की ओर से नई मांग सामने आने से इसमें अड़चनें आ सकती हैं।
न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

संविधान का अनुच्छेद 124 मूल रूप से यह कहता है, 'सुप्रीम कोर्ट के हर जज की नियुक्ति राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के संबंधित जजों से सलाह-मशविरे से करेंगें जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से हमेशा सलाह ली जाएगी। जजों की नियुक्ति एवं तबादले में किसकी चलेगी इसे लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका में 1980 के दशक से ही जोर-आजमाइश चल रही है।
किशोर न्याय संशोधन विधेयक पारित

किशोर न्याय संशोधन विधेयक पारित

केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को विवादास्पद किशोर न्याय कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को सुधार गृह में रखा जाये या उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाये। इस बारे में बात किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का कहना है ‘ यह बहुत ही गलत फैसला है। इसके तहत सिर्फ यह देखा जा रहा है कि जेलें कैसे भरी जाएं, यह नहीं देखा जा रहा कि बालसुधार गृहों में क्या सुधार किए जाएं, बच्चों को सामाजिक माहौल कैसा दिया जाए, उनकी मनोविज्ञानिक चिकित्सा के सिलसिले में क्या किया जाए या उन्हें किस प्रकार की वोकेशल ट्रेनिंग दी जाए।’
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