भूकंप प्रभावित नेपाल में व्यापक राहत अभियान मैत्री चलाने वाले भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह पड़ोसी देश के पुर्नवास और पुर्ननिर्माण में भी सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने और कोरपोरेट को करों में भारी छूट देने वाली मोदी सरकार की नीतियां कामयाब नहीं होंगी क्योंकि इससे उत्पादन क्षमता पैदा नहीं होगी और लोगों के पास क्रय शक्ति नहीं है।
नेपाल में क्षमता है कि वह दक्षिण एशिया के राष्ट्र-राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सके। लेकिन यदि गहरे इतिहास को छोड़ दें तो आधुनिक युग में निरंतर राजनीतिक और प्राकृतिक दुर्घटनाओं ने नेपाल के लोगों के उत्साह और प्रयासों पर पानी फेरा है। इस साल 2015 में नेपाल का महाभूकंप इस देश के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने मंगलवार को यहां एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में कहा, परमाणु हथियार संपन्न देशों ने अपने परमाणु हथियारों को समाप्त करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं की है।
सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी आंदोलन के एक जाने-माने चेहरा हैं। हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, बांग्ला भाषा में मजबूत पकड़ रखने के साथ एक-दो और भाषाओं के ज्ञाता है 62 वर्षीय येचुरी। मिलनसार स्वभाव वाले इस मृदुभाषी वाम नेता के कंधों पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की गहरे संकट में फंसी नाव को निकालने की जिम्मेदारी है।
बेतरतीब निर्माण ने बढ़ाया विनाश का दायरा, सही नियोजन से 90 फीसदी नुकसान रोका जा सकता था, जापान से कुछ भी नहीं सीखा, आने वाले दिनों में बड़े भकंपों की आशंका, धरती की चट्टानों में बढ़ रही ऊर्जा की हलचल
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इतिहास में पहली बार ऐसा व्यक्ति महासचिव बना है जो सांसद भी है। भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में भी यह पहली परिघटना है। माकपा के नए महासचिव सीताराम येचूरी राज्यसभा सांसद हैं और संसद के भीतर वाम स्वर को उठाने वाले एक परिचित चेहरे हैं। अब येचूरी और माकपा के सामने यह दुविधा है कि सांसद बना रहा जाए या यह पद छोड़ दिया जाए।
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी को पार्टी के नये महासचिव के तौर पर सर्वसम्मति से चुन लिया गया। पार्टी ने अपने 21 वें सम्मेलन के समापन के मौके पर आज अपनी केंद्रीय कमेटी के 91 सदस्यों और 16 सदस्यीय पोलित ब्यूरो को भी चुना।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की कमान सीताराम येचूरी के हाथों में आने के कई निहितार्थ हैं। सबसे पहला एजेंडा भाकपा के साथ विलय का संभावना पर विचार करना है। भाकपा का एक धड़ा लंबे समय से यह चाह रहा है, येचूरी ने इस ओर इशारा भी किया है। संकट के दौर में वाम दलों का एका एक लोकप्परिय समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।