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Search Result : "संपूर्ण क्रांति"

इतिहास को इतिहास की तरह देखिए

इतिहास को इतिहास की तरह देखिए

संतरा संतरा है और अमरूद अमरूद। संतरे में अमरूद का स्वाद और तासीर तलाशें तो यह संतरे के साथ अन्याय है। इसी तरह अगर अमरूद में संतरे का स्वाद और तासीर तलाशें तो यह अमरूद के साथ अन्याय है। संतरे को संतरे की तरह ही खाइए और अमरूद को अमरूद की तरह।
शांति का नोबेल ट्यूनिशिया नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को

शांति का नोबेल ट्यूनिशिया नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को

वर्ष 2015 का नोबेल शांति पुरस्कार किसी व्यक्ति को न देकर ट्यूनिशिया के नेशनल डायलॉग क्वार्टेट (राष्ट्रीय संवाद चतुष्टक) को देने की घोषणा की गई है। वर्ष 2011 में ट्यूनिशिया में हुई जैसमिन क्रांति के बाद देश में बहुलवादी लोकतंत्र की स्‍थापना में इस डायलॉग क्वार्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भाजपा विधायक सोम पर मांस कारोबार में लिप्‍त होने के आरोप!

भाजपा विधायक सोम पर मांस कारोबार में लिप्‍त होने के आरोप!

गुलाबी क्रांति और गोहत्‍या को मुद्दा बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर संगीत सोम पर अतीत में मीट कारोबार से जुड़े होने के आरोप लगे हैं।
क्या सौर उर्जा में होगी क्रांति

क्या सौर उर्जा में होगी क्रांति

सौर उर्जा की लागत कम करने के लिए प्रतिष्ठित एस एन बोस इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंसेज के शोधकर्ता ऐसा विचार लेकर आए हैं, जिसके जरिये सौर पैनलों के निर्माण के लिए सिलिकॉन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
तो नेत्रहीन भी देख सकेंगे दुनिया

तो नेत्रहीन भी देख सकेंगे दुनिया

बायोनिक आंखों के नए संस्करणों से हम भविष्य में ऐसे लोगों की आंखों की रोशनी लौटाने में भी सक्षम हो सकते हैं जो पूरी तरह नेत्रहीन हो चुके हैं।
तीसरे विकल्‍प पर पप्पू यादव का दांव, बनाया नया मोर्चा

तीसरे विकल्‍प पर पप्पू यादव का दांव, बनाया नया मोर्चा

कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रहे पप्‍पू यादव ने अब जन क्रांति अधिकार मोर्चा बनाकर बिहार में तीसरे विकल्‍प की राजनीति पर दांव लगाया है।
शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।
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