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नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नब्बे के दशक में जब गायिका मिलन सिंह सिल्वर स्क्रीन पर आईं तो लोग इसी पसोपेश में रहते थे कि वह महिला हैं या पुरुष। वह दोनों आवाजों में गाया करती थीं। तब उनके गीत युवाओं की जुबान पर रहते । खासकर ‘ अक्ख दे इशारे नाल गल कर गई कुड़ी पटोले वरगी ’ और ‘हाणियां तू कर लै प्यार की जिना तेरा जी करदा ’। इन गीतों की वजह से लोग उन्हें पंजाबी समझते लेकिन मिलन सिंह उत्तर प्रदेश में इटावा के एक गांव की रहने वाली हैं और ठाकुर परिवार में जन्मीं हैं। 32 सुपरहिट एलबम देने वाली मिलन सिंह ने हाल ही में संगीत की दुनिया में पुनः वापसी की है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-
भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

बाज़ार को बेचने हैं सौंदर्य को बढ़ाने वाले संसाधन इसलिए ‘च्‍वाइसेस’ या विकल्‍पों की बात हो रही है। लेकिन मुझे परेशानी इस बात से ज्यादा है कि वही स्त्री जब भारत के सड़कों, गलियों, खेतों, खलिहानों, कस्बों में बलत्कृत, क्षत-विक्षत मृत शरीर के रूप मे पाई जाती है। तब ना आपको उस पर बात करने से गुरेज है और ना उसका छायांकन करने में। लेकिन वही स्त्री जीवित अवस्था में अपने उसी शरीर पर हक की बातें करती है तो आपको 'परिवार व्यवस्था' से लेकर 'स्त्री देवी' के भ्रम के टूटने की धमक सुनाई देने लगती है।
भजन और सूफियाना कलामों की गूंज

भजन और सूफियाना कलामों की गूंज

दिल्ली का बहुचर्चित सालाना भक्ति संगीत समारोह साहित्य कला परिषद और दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग की ओर से पेश किया जा रहा है।
वेब भी खा रहा भारत की बेटियां

वेब भी खा रहा भारत की बेटियां

एक क्लिक और बेटी को गर्भ में खत्म करने का सॉल्यूशन आपकी स्क्रीन पर। देश-विदेश की कंपनियां खुलेआम अपने उत्पादों को वेब पर बेच रही हैं। बेटियों को गर्भ के जाल से निकालने के लिए पूरा बाजार, पूरा कारोबार, सारे सर्च इंजन मुस्तैद बैठे हैं।
दिल्ली में पूर्वोत्तर का नृत्य-संगीत

दिल्ली में पूर्वोत्तर का नृत्य-संगीत

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत के राज्य देश के खास हिस्से हैं। अपनी छोटी आबादी के बावजूद इन राज्यों का देश में काफी बड़ा योगदान है। इस क्षेत्र के लोगों ने आजादी की लड़ाई में सक्रिय हिस्सेदारी की थी।
दीपिका के विरोध में सोनाक्षी और शोभा डे

दीपिका के विरोध में सोनाक्षी और शोभा डे

सोनाक्षी का मानना है कि नारी सशक्तीकरण का मतलब महिलाओं को रोजगार और ताकत देना है न कि इसका संबंध कपड़ों संबंधों से होना चाहिए जैसा कि इस वीडियो में कहा गया है।
रागगिरी का संगीत दूर करेगा लोगों का दुख

रागगिरी का संगीत दूर करेगा लोगों का दुख

नकारात्मक नहीं हो सकता, संगीत के ‘हीलिंग टच’ को ध्यान में रखकर म्यूजिकल हेरीटेज ने अपनी नई मुहिम ‘रागगिरी’ की शुरूआत की। ‘रागगिरी’ का मकसद देश के अलग अलग शहरों में बसे उन लोगों तक संगीत को पहुंचाना है, जो किन्हीं वजहों से समाज की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। संगीत के ‘हीलिंग टच’ को ध्यान में रखकर ‘रागगिरी’ की शुरूआत की गई है।
सांस्कृतिक दूत होते हैं कलाकार-सेन

सांस्कृतिक दूत होते हैं कलाकार-सेन

भारत सरकार की ओर से नाटककार, गायक, संगीतकार और अभिनेता शेखर सेन को इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है। हाल ही में, उन्हें संगीत नाटक अकादेमी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके पास अकादमी के लिए कई योजनाएं हैं। प्रबंधन के अलावा उनके प्रशंसक उन्हें 'कबीर’ के तौर पर जानते हैं। कबीर उनकी एकल नाट्य प्रस्तुति है, जो दर्शकों के बीच खासी लोकप्रिय है।
पटकथा लेखक बने एआर रहमान

पटकथा लेखक बने एआर रहमान

दो बार अकादमी पुरस्कार जीत चुके संगीतकार एआर रहमान संगीत से इतर एक अलग क्षेत्र में हाथ आजमाने जा रहे हैं। नई चुनौती स्वीकार करते हुए रहमान अपनी खुद की पटकथा पर काम कर रहे हैं।
इक आग का दरिया है बांसुरी

इक आग का दरिया है बांसुरी

मशहूर बांसुरीवादक पंडित रानेंद्र (रोनू) मजूमदार ने हाल ही में सिर्फ बच्चों के लिए एक म्यूजिक ऐलबम निकाला है। पांच हजार से ज्यादा दफा अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुति दे चुके रोनू मजूमदार का कहना है कि संगीत के क्षेत्र में अब वह सिर्फ बच्चों के लिए काम करना चाहते हैं ताक‌ि अगली पीढ़ी इस व‌िरासत को संभाल सके। वाराणसी में जन्मे मजूमदार वर्ष 1974 से मुंबई में रह रहे हैं। बांसुरी में इनके पहले गुरू इनके प‌िता डॉ. भानू मजूमदार थे, जो शौक‌िया बांसुरी बजाते थे। आउटलुक ने उनसे बात की।
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