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Search Result : "श्रवण राठौड़ का निधन"

फैशन वीक की रजत जयंती

फैशन वीक की रजत जयंती

भारत के नामचीन फैशन डिजायनरों में शुमार रितु कुमार, रोहित बल और सब्यसाची समेत लगभग 25 मशहूर डिजायनर मुंबई में हुए अमेजन इंडिया फैशन वीक के 25वें संस्करण के समापन पर साथ आए।
छोटे शहरों में भी पहुंचेगा एफएम

छोटे शहरों में भी पहुंचेगा एफएम

सरकार ने छोटे शहरों एवं कस्बों तक एमएफ रेडियो की सेवाएं पहुंचाने की योजना बनाई है। अगले दो साल में कई स्थानों पर सैकड़ों रेडियो स्टेशन खोलने को हरी झंडी दे दी गई है। सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने यहां यह जानकारी दी।
सिंगापुर के जनक ली क्वान यू का निधन

सिंगापुर के जनक ली क्वान यू का निधन

सिंगापुर के संस्थापक जनक ली क्वान यू का 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने आधी सदी से अधिक समय तक देश की राजनीति में अपना प्रभुत्व बनाए रखा और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश को एक वैश्विक व्यापार एवं वित्तीय शक्ति में तब्दील कर दिया।
दूरदर्शी नेता थे ली कुआन येव : ओबामा

दूरदर्शी नेता थे ली कुआन येव : ओबामा

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली कुआन येव की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक ऐसा दूरदर्शी नेता बताया जिन्होंने 1965 में अपने देश की स्वतंत्रता के बाद उसे आज विश्व के सबसे समृद्ध देशों में शुमार करने में अहम भूमिका निभाई।
निर्भीक पत्रकारिता की मशाल का बुझना

निर्भीक पत्रकारिता की मशाल का बुझना

निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का पालन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों में सदा कठिन रहा है। महात्मा गांधी, तिलक या पराड़र और गणेश शंकर विद्यार्थी के युग से तुलना करना उचित नहीं होगा, लेकिन आजादी के बाद भारतीय पत्रकारिता में अलग तरह की चुनौतियां रही हैं। इस दृष्टि से विनोद मेहता ने पिछले 42 वर्षों में भारतीय पत्रकारिता में नए प्रयोगों के साथ निष्पक्ष एवं प्रोफेशनल मानदंड स्थापित किए।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री आरआर पाटिल का निधन

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री आरआर पाटिल का निधन

महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सरकार में उपमुख्यमंत्री और राज्य के गृहमंत्री रहे वरिष्ठ राकांपा नेता आर.आर. पाटिल का सोमवार को 57 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।
बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

बर्बर प्रदेश में कितनी उम्मीद

राष्‍ट्र¬भाषा होने का दावा करने वाली हिंदी के मीडिया से तो इसी राष्‍ट्र का हिस्सा माना जाने वाला मणिपुर अमूमन गायब ही होता है और उत्तर पूर्व में असम अगर यदा-कदा चर्चा में आता भी है तो बिहारियों, झारखंडियों पर उग्रवादी हमले के कारण या अरूणाचल प्रदेश की चर्चा होती है तो चीनी दावेदारी के हंगामें के कारण। हिंदी के एक्टिविस्ट संपादक प्रभाष जोशी के निधन के बाद की चर्चा में यह प्रसंग जरूर आया कि वह 5 नवंबर को नागरिकों की एक टीम के साथ मणिपुर जाना चाहते थे लेकिन यह टीम मणिपुर की जिन उपरोक्त परिस्थितियों के बारे में एक तथ्यान्वेषण मिशन पर वहां जा रही थी उसका जिक्र ओझल ही रहा। और जिस ऐतिहासिक अवसर पर यह टीम मणिपुर जा रही थी उसका जिक्र तो भला कितना होता? यह ऐतिहासिक अवसर था 37 वर्षीय इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दसवें वर्ष में प्रवेश का। गांधी और नेल्सन मंडेला की जीवनी सिरहाने रखे बंदी परिस्थितियों में इंफाल के एक अस्पताल में अनशनरत अहिंसक वीरांगना के नाक में टयूब के जरिये जबरन तरल भोजन देकर सरकार जिंदा रखे हुए है। अपढ़ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिता और अपढ़ माता की नौवीं संतान शर्मिला सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों पर बागियों की बमबारी के जवाब में सशस्त्र बलों द्वारा एक बस स्टैंड पर 10 निर्दोष नागरिकों को भूने जाने की खबरें अखबारों में पढक़र और तस्वीरें देखकर तथा उन सुरक्षाकर्मियों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के कारण सजा की कोई संभावना न जानकर इतना विचलित हुई कि उन्होंने इस तानाशाही कानून के खिलाफ आमरण अनशन का फैसला ले लिया।
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