बच्चों को अपराध से रोकने के साथ-साथ उन पर होने वाले जुल्म से बचाने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू हो गया है। इसके तहत बच्चों से मारपीट करने पर अभिभावक को भी सजा का प्रावधान है।
निर्भया बलात्कार कांड के नाबालिग मुजरिम के बाल सुधार गृह से 21 दिसंबर को छूटने के बाद भी उस मसले पर बहस जारी है और नए बाल अपराध कानून को लेकर मशक्कत चल रही है। इस संबंध में इस संवाददाता को उस समय का एक प्रसंग याद रहा है।
सन 2015 बीतने को है। इस साल कई फिल्मी सितारों के बच्चे ने अपने परिवार की अभिनय की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बॉलीवुड में कदम रखा। इस लिहाज से यह साल नए अदाकारों का रहा।
क्या कोई बच्चा गणित का कठिन से कठिन सवाल तीन मिनट में हल कर सकता है। जवाब हां भी हो सकता है लेकिन 120 सवालों के जवाब अगर तीन मिनट में हल करना हो तो यह कैसे संभव है। लेकिन एबेकस तकनीकी के जरिए एक, दो या तीन बच्चें नहीं बल्कि तीन हजार बच्चों ने जब एक साथ सवालों के जवाब हल करना शुरू किया तो सभी ने दांतों तले उंगली दबा ली।
जमीयत उलेमा ए हिंद बुधवार को एक साथ देश के सभी प्रमुख शहरों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। जमीयत उलेमा ए हिंद ने पेरिस में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए आज कहा, इस्लाम में क्रिया की प्रतिक्रिया की कोई जगह नहीं है और इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्याएं करना, इस्लाम के नाम का दुरूपयोग करना है।
चीन के शीर्ष परिवार नियोजन प्राधिकार ने जोर दिया है कि उससे जुड़े स्थानीय संगठनों को फिलहाल तब तक एक बच्चे की नीति लागू रखनी होगी जब तक कि सभी दंपति के लिए दो बच्चों की नई नीति को कानूनी रूप नहीं मिल जाता है।
चीन ने आज दशकों पुरानी एक बच्चे की अपनी विवादास्पद नीति को निरस्त कर दिया। अब चीन की सरकार के इस कदम से विश्व के सर्वाधिक आबादी वाले देश में सभी दंपतियों को दो बच्चे रखने की अनुमति मिल गई है।
बर्मा से आई तीस साल की तस्लीमा यह नहीं जानती कि उसका बेटा किस तारीख को पैदा हुआ। हालांकि वह यह जानती है कि बेटा 18 या 20 दिन का हो चुका है। सफदरजंग अस्पताल से कोई पर्ची नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि तस्लीमा दूसरे देश की रहने वाली है इसलिए उसे बच्चे का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। दो साल पहले वह अपने वतन बर्मा से बांग्लादेश होती हुई दिल्ली पहुंची। मात्र तीस साल की उम्र में चार बच्चों की मां बन चुकी तस्लीमा अपने पति और बच्चों के साथ किसी तरह जान बचाकर भारत आ तो गई लेकिन यहां जिन हालातों में जी रही है वह जीते जागते मरने जैसे हैं।
दिल्ली में डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण हो रही मौतों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा।