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अब स्वामी ने किया शक्तिकान्त दास पर हमला, जेटली ने कहा गलत

अब स्वामी ने किया शक्तिकान्त दास पर हमला, जेटली ने कहा गलत

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आज आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास पर हमला बोला। जिस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक अनुशासित सरकारी अधिकारी पर इस तरह के हमले को अनुचित व गलत बताया।
ताशकंद में शी से मिले मोदी, मांगा एनएसजी के लिए समर्थन

ताशकंद में शी से मिले मोदी, मांगा एनएसजी के लिए समर्थन

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने गुरुवार को ताशकंद पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए समर्थन मांगा। प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि सियोल में चल रहे एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन के समक्ष पेश भारत के आवेदन का निष्पक्ष और उद्देश्यपरक मूल्यांकन किया जाए।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
एनएसजी: भारत के विरोध में डटे चीन के राष्ट्रपति शी से ताशकंद में मिलेंगे मोदी

एनएसजी: भारत के विरोध में डटे चीन के राष्ट्रपति शी से ताशकंद में मिलेंगे मोदी

एनएसजी सदस्यता के भारत के प्रयासों के विरोध में डटे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताशकंद में मुलाकात करेंगे। गुरुवार से ताशकंद में शुरू हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दोनों नेताओं के वहां एकसाथ मौजूद होने से इस मुलाकात की संभावना जताई जा रही है।
भारत की उम्मीद बरकरार, गैर एनपीटी देशों की सदस्यता पर एनएसजी में चर्चा जारी

भारत की उम्मीद बरकरार, गैर एनपीटी देशों की सदस्यता पर एनएसजी में चर्चा जारी

चीन द्वारा भारत की उम्मीदों पर सोमवार को पानी फेरने के बाद आज भारत के लिए अच्छी खबर आई है। मंगलवार को चीन ने कहा कि भारत और अन्य गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के मुद्दे पर एनएसजी सदस्यों के बीच सियोल में जारी बैठक में वार्ता चल रही है।
एनएसजी सदस्यता: चीन ने दिया झटका, सियोल बैठक के एजेंडे में भारत नहीं

एनएसजी सदस्यता: चीन ने दिया झटका, सियोल बैठक के एजेंडे में भारत नहीं

सियोल में सोमवार से से शुरू हुई 48 परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) देशों की बैठक के दौरान संगठन का सदस्य बनने की भारत की आशाओं को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब चीन ने कहा कि यह मुद्दा बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं है।
विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज को है विश्‍वास, एनएसजी पर भारत चीन को मना लेगा

विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज को है विश्‍वास, एनएसजी पर भारत चीन को मना लेगा

विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने कहा है कि भारत की एनएसजी की सदस्‍यता पर चीन को मना लिया जाएगा। सुषमा ने विश्‍वास जताते हुए कहा कि हम इस मसले पर चीन को राजी कर लेंगे। उन्‍होंने कहा कि अभी सरकार का सारा ध्‍यान यह सुनिश्चित करने पर है कि इस साल देश को एनएसजी की सदस्‍यता हर हाल में मिल जाए। लिहाजा हम इस दिशा में सभी हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके कर्म-वचन जनता के हित के लिए होने चाहिए। सिंहासन पर बैठकर कांव कांव करना उन्हें शोभा नहीं देता। पेड़, शाखा, गांव, शहर और मंच पर छलांग लगाते हुए उन्हें अलग-अलग बातें नहीं करनी चाहिए।
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