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Search Result : "विकास दुबे"

गैर-बराबरी, गरीबी से लोकतंत्र को खतरा | डीटन, नोबेल सम्‍मानित अर्थशास्‍त्री

गैर-बराबरी, गरीबी से लोकतंत्र को खतरा | डीटन, नोबेल सम्‍मानित अर्थशास्‍त्री

मैं अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिए जाने वाले स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार, 2015 से पुरस्कृत किए जाने को ले‌कर रोमांचित हूं। मैं इसे लेकर ज्यादा रोमांचित हूं कि नोबेल समिति ने भारत पर किए गए मेरे और मेरे सहयोगियों के कार्य को रेखांकित किया है।
विकास के विरोधाभास में अटका बिहार

विकास के विरोधाभास में अटका बिहार

पटना हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही यात्रियों का इंतजार कर रहे टैक्सी‍, ऑटो रिक्शा‍ वालों ने पूछा कि कहां चलना है। कुछ न बोलते हुए जब आगे बढ़ा तो एक रिक्शा‍ वाला मिला और बोला कहां चलना है साहब, मैंने कहा बोरिंग रोड। बोला छोड़ दूंगा। खैर मुझे बोरिंग रोड तो जाना नहीं था लेकिन मैंने सोचा रिक्शा‍ से चलते कुछ चुनावी माहौल का जायजा लिया जाए। छपरा का रहने वाला रिक्शा‍ चालक कमलेश से जब पूछा कि बिहार में चुनाव है और कहीं कोई शोर नहीं हो रहा कही कोई बड़े-बड़े पोस्टर नहीं दिखाई पड़ रहा है। कमलेश बोला कि साहब यह एयरपोर्ट का इलाका है जब आप शहर में जाएंगे तो हालात बदले हुए नजर आएंगे। खैर कमलेश ने बताया कि साहब किसी की लहर नहीं है कौन चुनाव जीतेगा कह पाना मुश्किल है। मैंने पूछा क्यों‍, कमलेश कहता है कि विकास का जो मुद्दा भारतीय जनता पार्टी का है तो वही मुद्दा तो नीतीश कुमार का रहा है। आज बिहार में जो विकास हुआ है वह नीतीश कुमार की ही बदौलत हुआ है।
नीतीश कटारा के हत्यारों को नहीं होगी फांसी

नीतीश कटारा के हत्यारों को नहीं होगी फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, संभवतः नीतीश और भारती यादव अपने दोस्त की शादी में जिस तरह डांस कर रहे थे उसने भारती के भाइयों विकास और विशाल को गुस्सा दिला दिया और उन्होंने नीतीश का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी।
चीनी मीडिया ने उड़ाया भारत का मजाक

चीनी मीडिया ने उड़ाया भारत का मजाक

अमेरिकी मीडिया में आई इस खबर पर चुटकी लेते हुए कि अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए अगले बड़े मोर्चे के तौर पर भारत ने चीन की जगह ले ली है, सरकारी चाइना डेली ने एक आलेख में कहा है कि भारत उस मुकाम तक भी नहीं पहुंच पाया है, जहां चीन पांच साल पहले था।
क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

सुब्रह़मण्यम स्वामी को जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद़यालय का कुलपति बनाने की चर्चा इतनी तेजी से शुरू हुई कि प्रायः हर किसी ने इसे सच मान लिया। अकादमिक दुनिया कान लगाकर आहट सुनने लगी। इस पर मीडिया माध्यमों से लेकर बौद्ध‍िक तबके में विमर्श का दौर शुरू हो गया और सुब्रह़मण्यम स्वामी की टिप्पणियां भी सामने आ गई। उन्होंने अपनी योजनाएं भी बता दीं कि वे जेएनयू में किस प्रकार नक्सलियों और ड्रग्स के शिकार लोगों को काबू में करेंगे। यह अपेक्षा भी जता दी कि सरकार उन्हें खुली छूट दे तो वे काम करने को तैयार हैं।
टिकटों के बंटवारे में विकास पर हावी सामाजिक समीकरण

टिकटों के बंटवारे में विकास पर हावी सामाजिक समीकरण

दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि विकास के दावे और वादे नेपथ्य में चले गए हैं। उसकी जगह सामाजिक समीकरण के मद्देनजर जिताऊ कहे जा सकनेवाले उम्मीदवारों ने ले ली है। महागठबंधन ने जहां अपने मंडल या कहें सामाजिक न्याय के सिद्धांत को सामने रखकर पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों पर भरोसा किया है तो भाजपा और उसके गठबंधन ने सर्वाधिक सीटें अपने सवर्ण जनाधार को ध्यान में रखकर बांटी है।
विश्वभारती के कुलपति को बर्खास्त करने की अनुशंसा

विश्वभारती के कुलपति को बर्खास्त करने की अनुशंसा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वभारती विश्वविद्यालय (शांति निकेतन) के कुलपति सुशांत दत्तगुप्ता को बर्खास्त करने की अनुशंसा की है। अगर उनकी बर्खास्तगी हुई तो इस तरह हटाए जाने वाले वे किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले कुलपति हो सकते हैं।
विकास रैंकिंग में भारत निचले पायदान पर: विश्‍व आर्थिक मंच

विकास रैंकिंग में भारत निचले पायदान पर: विश्‍व आर्थिक मंच

भारत को समावेशी वृद्धि और विकास के लिहाज से वैश्विक रैंकिंग में निचले पायदान पर रखा गया है जबकि कारोबारी एवं राजनीतिक आचार-नीति के लिहाज से भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर स्थिति में है।
हिंदी साहित्य के इंजीनियर

हिंदी साहित्य के इंजीनियर

गणित के कठिन सवालों के बीच गोदान का होरी भी जिंदगी के जवाब खोजता है। रसायन के सूत्र भले भूल जाएं मगर चंदर का सुधा भूल जाना अखरता है। प्रकाश के परावर्तन का नीरस सिद्धांत सुनील के केस को सुलझाते ही सरस लगने लगता है। ब्लैक बोर्ड पर अल्फा, बीटा, गामा के बीच निर्मला, चोखेरबाली और राग दरबारी भी धमाचौकड़ी मचाते हैं। अमूमन घरों में होशियार बच्चे विज्ञान पढ़ते हैं। विज्ञान में भी लड़के गणित और लड़कियां जीव विज्ञान पढ़ती हैं। जब कोर्स की किताबें ही साल में खत्म करना मुश्किल हो तो कहानी-कविताएं, उपन्यास पढ़ने के लिए किसके पास वक्त है। गणित लेने के बाद अर्जुन की आंख की तरह बस एक ही लक्ष्य है, आईआईटी। विज्ञान पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से कम कुछ भी गवारा नहीं है। मोटी-मोटी किताबों, सुबह से शाम तक चलने वाली कोचिंग क्लासों के बीच इंजीनियर बनने का सपना पलता है। ऐसे में साहित्य की कौन सोचे। पढ़ाई के दौरान साहित्य पढऩा समय की बर्बादी है और लिखना... इसके बारे में तो सोचना भी मत।
पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’