राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कानून के छात्रों से संविधान का ठीक से अध्ययन करने की अपील करते हुए रविवार को उनसे कहा कि वे शासन और राज्य से जुड़े सभी मामलों में भागीदारी कर उन परिवर्तनों का माध्यम बनें, जो वे चाहते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने आलोचकों को उन्हीं के अंदाज में जवाब देते हुए चुनौती दी कि साबित करें कि मुद्रास्फीति कहां कम हुई है। उन्होंने अपनी आलोचनाओं को महज डायलॉगबाजी करार देते हुए उसे खारिज कर दिया।
कश्मीर घाटी में जो हो रहा है वह अच्छा नहीं है। आज हो कुछ हो रहा है वह पहली बार भी नहीं है। इससे पहले भी घाटी में हिंसा की इस तरह की घटनाएं होती रही है। कारण साफ है कि घाटी का लोगों का जो गुस्सा है उसे न तो जम्मू-कश्मीर की सरकार ने समझा और न ही केंद्र की सरकार ने।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल का पद खत्म करने की मांग की।
पाकिस्तान में रातों-रात एक राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए बैनर-पोस्टरों से निश्चित रूप से देश की नवाज सरकार की नींद उड़ गई होगी। दरअसल इस बैनर में पाकिस्तानी सेना प्रमुख राहील शरीफ से देश में एक बार फिर मार्शल लॉ लागू करने की मांग की गई है और उनसे अपील की गई है कि वह नवंबर में तय अपने रिटायरमेंट को खारिज कर सत्ता पर कब्जा करें।
विमान किरायों की अधिकतम सीमा तय करना ज्यादातर यात्रियों के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने शनिवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर एयरलाइंस न्यूनतम किरायों में बढ़ोतरी कर सकती है। इससे पहले राजू ने कुछ दिन पहले विमान किरायों की सीमा तय करने से इनकार करते हुए कहा था कि विमानन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा से इस समस्या का हल हो जाएगा।
माकपा नेता सीताराम येचुरी का मानना है कि मोदी सरकार देश के लोकतांत्रिक ढांचे को गिराने पर आमादा है। उनकी राय है कि भाजपा के हिंदू राष्ट्रवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को उलझाया है। इसकी आर्थिक नीतियों ने देश को कम और पूंजीवादी पाश्चात्य देशों को ज्यादा फायदा पहुंचाया है। पार्टी ने संसदीय लोकतंत्र पर हमला करते हुए देश की संवैधानिक संस्थानों का मखौल उड़ाया है।
स्वास्थ्य गड़बड़ होने पर मुंह का स्वाद बदल जाता है। इसी तरह भारत में मौसम के साथ महंगाई बढ़ने पर आम आदमी के दांत खट्टे भले ही न हों, दाल खट्टी और चीनी कड़वी लगने लगती है। एक तरफ किसानों को अनाज, तिलहन और गन्ने का सही दाम नहीं मिलता और कर्ज से तंग आकर लोग आत्महत्या करते हैं, दूसरी तरफ कालाबाजारी और सूदखोर दलाल एवं व्यापारियों का एक वर्ग मनमाने ढंग से मूल्य वसूलते हैं।