भाजपा के दिल्ली में धूल-धूसरित होने के कई कारण हैं। 16 मई से चले आ रहे जीतों के सिलसिले का घमंड जिस तरह से पार्टी को बदज़बान, निरंकुश और अतिवादी बनाता जा रहा था, उसमें दिल्ली के दरवाज़े पर कई दस्तकें न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनाई दे रही थीं और न ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को। पार्टी के मतांध नेतृत्व की एक के बाद एक ग़लती दो मोर्चों की लड़ाई को एकतरफा हवा में तब्दील करती चली गई और प्रबंधन से लेकर लहर तक के सारे दावे धूल हो गए।
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ पर ब्रेक लग जाएगा। अगर एग्जिट पोल पर भरोसा करें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है।